Q. प्रकाश के परावर्तन के नियम लिखिए। पार्श्व उत्क्रमण से क्या तात्पर्य है? अंग्रेजी के किन अक्षरों में पार्श्व उत्क्रमण का अनुभव नहीं होता ?

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Ans. प्रकाश के परावर्तन के दो नियम निम्नलिखित हैं- (1) आपतित किरण, आपतन बिन्दु पर अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण तीनों एक ही तल में होते हैं। (2) परावर्तन कोण सदैव आपतन कोण के बराबर होता है। पार्श्व उत्क्रमण (Lateral Inversion) – जब हम अपना प्रतिबिम्ब समतल दर्पण में देखते हैं तो हमारा दायाँ हाथ प्रतिबिम्ब का बायाँ हाथ दिखाई पड़ता है तथा हमारा बायाँ हाथ प्रतिबिम्ब का दायाँ हाथ दिखाई पड़ता है। इस प्रकार वस्तु के प्रतिबिम्ब में पार्श्व (sides) बदल जाते हैं। इस घटना को ‘पार्श्व उत्क्रमण’ कहते हैं। यही बात छपे अक्षरों से प्रकट होती है। यदि हम किसी कागज पर छपे हुए अक्षर एक दर्पण के सामने रखकर पढ़ें तो अक्षर उल्टे दिखाई देंगे। इसी कारण से ब्लोटिंग पेपर पर सोखे हुए शब्द समतल दर्पण के सामने रखने पर सीधे दिखाई देने लगते हैं। माना कि E-आकार की एक वस्तु समतल दर्पण M के सामने रखी है (चित्र 1.2)। वस्तु के बिन्दु 4 का प्रतिबिम्ब A’ दर्पण के पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है जितनी दूरी पर दर्पण के सामने A है। इसी प्रकार, वस्तु के अन्य बिन्दुओं B तथा C के प्रतिबिम्ब बनते हैं। वस्तु के सभी बिन्दुओं के प्रतिबिम्बों को ज्ञात करके बनने वाले प्रतिबिम्ब को प्राप्त किया जा सकता है। यह प्रतिबिम्ब वस्तु के आकार का बनता है परन्तु उसमें पार्श्व बदल जाते हैं।

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