Class12th हिंदी के महत्वपूर्ण प्रश्न 2025 l 24 February ko puche jaane wale Hindi ke mahatvpurn prashn kaksha 12 ke liye

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खण्ड- क (अंक-50)

1. हिन्दी गद्य का विकास

हिन्दी गद्य का विकास भारतीय साहित्य में अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान रखता है। गद्य का उद्भव संस्कृत साहित्य से हुआ, लेकिन हिन्दी गद्य की विशिष्टता उसके सरल, प्रवाहपूर्ण, और व्यावहारिक रूप में है।

  • हिन्दी गद्य का उद्भव एवं विकास: हिन्दी गद्य का उद्भव मध्यकाल में हुआ। पहले इसमें धार्मिक ग्रंथों, संस्कृत साहित्य, और अन्य भाषाओं के अनुवाद की प्रवृत्तियाँ थीं। लेकिन 19वीं शताब्दी में यह अपनी विशेषता को पहचानने लगा।
  • शुक्लयुग (1870-1910): हिन्दी गद्य में शुक्ल युग के दौरान नवजागरण का प्रभाव पड़ा, जहाँ सामाजिक, राजनीतिक और साहित्यिक परिवर्तनों का समावेश हुआ। यह युग भारतीय समाज के प्रति जागरूकता का था, जहाँ गद्य रचनाएँ जैसे कि निबंध और कहानी का विकास हुआ।
  • शुक्लोत्तर युग (1910-1947): इस युग में साहित्यिक पुनर्निर्माण हुआ। हिन्दी गद्य में स्वाधीनता संग्राम और समाज सुधारक विचारधारा का असर देखा गया। प्रेमचंद, यशपाल, और निराला जैसे लेखक इस युग के प्रमुख गद्यकार थे।
  • हिन्दी गद्य की प्रमुख विधाएँ:
    • निबंध: गद्य का सबसे सामान्य रूप, जिसमें विचारों और तर्कों का व्यवस्थित रूप से विश्लेषण किया जाता है।
    • उपन्यास: गद्य की ऐसी लंबी विधा जिसमें कथा, चरित्र और समाज का विस्तार से चित्रण होता है। प्रेमचंद के उपन्यास इस प्रकार के गद्य के आदर्श हैं।
    • कहानी: गद्य की छोटी विधा, जिसमें पात्रों और घटनाओं के माध्यम से संदेश दिया जाता है।
    • आलोचना: साहित्यिक कृतियों की समीक्षा और विश्लेषण पर आधारित गद्य रचनाएँ।

2. काव्य साहित्य का विकास (आधुनिक काल)

  • भारतेन्दु युग (1860-1880): यह भारतीय काव्य साहित्य के पुनरुद्धार का काल था। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने हिन्दी काव्य को शास्त्रीय दृष्टिकोण से बाहर निकालकर उसे भारतीय समाज और संस्कृति के साथ जोड़ने का प्रयास किया। उनकी काव्य रचनाएँ सामाजिक जागरूकता और स्वाधीनता की ओर प्रेरित करती हैं।
  • द्विवेदी युग (1900-1920): इस युग में हिन्दी काव्य में शास्त्रीयता का विशेष प्रभाव था। इस समय कविता का उद्देश्य सामाजिक सुधार, राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक उत्थान था। पं. माखनलाल चतुर्वेदी, सुमित्रानंदन पंत, और मैथिलीशरण गुप्त इस युग के प्रमुख कवि थे।
  • छायावाद (1920-1930): यह काव्य में आधुनिकता का प्रतीक था। छायावाद में कवि का आत्मनिर्भर, संवेदनशील और प्रकृति प्रेमी व्यक्तित्व सामने आता है। सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, पं. सुमित्रानंदन पंत, और जयशंकर प्रसाद इसके प्रमुख कवि थे।
  • प्रगतिवाद (1930-1947): यह युग समाज सुधार, सामाजिक चेतना और राष्ट्रीय उत्थान का था। कवियों ने गरीबों, शोषितों और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। नागार्जुन और दिनकर जैसे कवि इस युग के प्रमुख कवि थे।
  • नई कविता (1950 के बाद): इस समय कविता ने नए रूपों और शैलियों को अपनाया। यहाँ व्यक्तिवाद, यथार्थवाद और सामूहिक चेतना की प्रमुख भूमिका थी। कवि प्रेमचंद, कवि शंकर, और केदारनाथ सिंह इस आंदोलन के महत्वपूर्ण काव्यकार थे।

3. पाठ्यक्रम में निर्धारित गद्यांशों पर आधारित पांच प्रश्न

  • इन प्रश्नों में आपको गद्यांश की सामग्री को समझ कर उसके आधार पर प्रश्नों का उत्तर देना होगा, जो सामान्यतः गद्यांश के विश्लेषण, लेखक की शैली और उनके विचारों पर आधारित होते हैं।

4. पाठ्यक्रम में निर्धारित पद्यांशों पर आधारित पांच प्रश्न

  • इन प्रश्नों में आपको कविता के भावार्थ, कविता की शैली, और कवि की विचारधारा पर आधारित उत्तर देना होगा। प्रत्येक प्रश्न का उत्तर कविता के भीतर छिपे संदेश, प्रतीकात्मक अर्थों और काव्य शिल्प के आधार पर दिया जाएगा।

5. संकलित गद्य के पाठों के लेखकों का साहित्यिक परिचय

(क) लेखकों का साहित्यिक परिचय
यहाँ आपको उन लेखकों की जीवनी, उनके प्रमुख कार्य और उनकी साहित्यिक शैली के बारे में लिखना होगा। उदाहरण के लिए, प्रेमचंद की साहित्यिक विशेषताएँ और उनके सामाजिक दृष्टिकोण को समझना आवश्यक होगा।

(ख) कवि परिचय
कवि की जीवनयात्रा, उनकी काव्य रचनाएँ, और उनके काव्यशास्त्र की विशेषताएँ लिखें। जैसे निराला या पंत के जीवन, रचनाएँ और उनकी साहित्यिक विशेषताएँ।

6. कहानी-चरित्र-चित्रण, कहानी के तत्व एवं तथ्यों पर आधारित

  • यहाँ पर आपको कहानी के प्रमुख तत्वों, जैसे कि पात्र, कथानक, संवाद, और घटनाओं के बारे में विस्तार से चर्चा करनी होगी। एक आदर्श कहानी के चरित्र चित्रण को समझकर उदाहरण प्रस्तुत करें।

7. खण्ड काव्य पर आधारित लघु उत्तरीय प्रश्न

  • (क) खण्ड काव्य की विशेषताएँ: खण्ड काव्य के बारे में विशेष रूप से यह समझना होगा कि यह लंबी काव्य रचनाएँ होती हैं, जो कहानी, प्रतीकात्मकता, और घटनाओं का गहरे स्तर पर विश्लेषण करती हैं।
  • (ख) पात्रों का चरित्र चित्रण: खण्ड काव्य में प्रत्येक पात्र का महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इन पात्रों की मानसिकता, उद्देश्यों और संघर्षों को समझें।
  • (ग) प्रमुख घटनाएँ: खण्ड काव्य में घटित घटनाएँ और उनके निहितार्थ पर आधारित प्रश्न होंगे।

महत्वपूर्ण नोट्स

  • प्रत्येक प्रश्न का उत्तर संक्षिप्त और स्पष्ट होना चाहिए।
  • साहित्यिक विश्लेषण करते समय लेखक की शैली, समयकाल, और सामाजिक दृष्टिकोण का ध्यान रखें।
  • ध्यान रखें कि शब्द सीमा का पालन करें (80 शब्दों में अधिकतम)।

यहाँ पर 25 प्रश्नों के उत्तर दिए गए हैं, जो हिन्दी साहित्य के विभिन्न पहलुओं को कवर करते हैं। ये उत्तर पॉइंट-टू-पॉइंट रूप में तैयार किए गए हैं ताकि आप इन्हें आसानी से समझ सकें और पढ़ाई के लिए उपयोग कर सकें।

1. हिन्दी गद्य का विकास

  1. हिन्दी गद्य का उद्भव एवं विकास:
    • संस्कृत साहित्य से प्रेरित।
    • मध्यकाल में गद्य का प्रारंभ धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथों से।
    • 19वीं शताब्दी में गद्य का विकास साहित्यिक उद्देश्य से हुआ।
  2. शुक्लयुग (1870-1910):
    • भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने सामाजिक जागरूकता के लिए गद्य रचनाएँ लिखीं।
    • गद्य में तात्कालिक सामाजिक, राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा।
  3. शुक्लोत्तर युग (1910-1947):
    • गद्य रचनाओं में अधिक सामाजिक यथार्थवाद।
    • प्रेमचंद जैसे लेखक समाज की सच्चाइयों को उजागर करते थे।
  4. हिन्दी गद्य की प्रमुख विधाएँ:
    • निबंध: विचारों का विश्लेषण, समाज सुधारक दृष्टिकोण।
    • उपन्यास: लंबे कथा रूप में समाज और व्यक्तित्व का चित्रण।
    • कहानी: छोटे रूप में घटनाओं का और पात्रों का चित्रण।
    • आलोचना: साहित्यिक कृतियों की समीक्षा।

2. काव्य साहित्य का विकास (आधुनिक काल)

  1. भारतेन्दु युग (1860-1880):
    • साहित्य में जागरूकता, सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर ध्यान।
    • हिन्दी काव्य को शास्त्रीय दृष्टिकोण से बाहर लाया।
  2. द्विवेदी युग (1900-1920):
    • शास्त्रीयता का प्रभाव।
    • काव्य में सामाजिक और राष्ट्रीय जागरूकता की बात।
  3. छायावाद (1920-1930):
    • आत्मनिर्भरता, संवेदनशीलता और प्रकृति प्रेमी दृष्टिकोण।
    • सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ और सुमित्रानंदन पंत प्रमुख कवि।
  4. प्रगतिवाद (1930-1947):
    • समाज सुधार, शोषित वर्ग के लिए कविता।
    • कवि जैसे नागार्जुन और दिनकर ने संघर्ष और बदलाव की बात की।
  5. नई कविता (1950 के बाद):
    • यथार्थवाद, व्यक्तिवाद, और सामूहिक चेतना।
    • केदारनाथ सिंह, कवि शंकर जैसे कवि प्रमुख थे।

3. पाठ्यक्रम में निर्धारित गद्यांशों पर आधारित पांच प्रश्न

  • गद्यांश का अर्थ, लेखक की शैली और उद्देश्य पर आधारित प्रश्न।
  • लेखक द्वारा प्रयुक्त भाषा और उसके प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करना।
  • गद्यांश के मुख्य विचारों का विश्लेषण करना।

4. पाठ्यक्रम में निर्धारित पद्यांशों पर आधारित पांच प्रश्न

  • कविता का भावार्थ, प्रतीकात्मकता और रूपक पर आधारित प्रश्न।
  • कविता की संरचना, रचनात्मकता और काव्यशास्त्र पर ध्यान।
  • कवि के संदेश और विचारों का विश्लेषण करना।

5. संकलित गद्य के पाठों के लेखकों का साहित्यिक परिचय

(क) लेखकों का साहित्यिक परिचय, जीवनी, कृतियाँ, और भाषा शैली (शब्द सीमा अधिकतम-80)

  1. प्रेमचंद:
    • जीवनी: 1880-1936, हिन्दी-उर्दू के प्रसिद्ध लेखक।
    • प्रमुख कृतियाँ: गोदान, कर्मभूमि, शतरंज के खिलाड़ी।
    • भाषा शैली: सरल, प्रगतिशील, सामाजिक मुद्दों पर आधारित।
  2. भारतेंदु हरिश्चन्द्र:
    • जीवनी: 1850-1885, हिन्दी साहित्य में पुनर्जागरण के अग्रदूत।
    • प्रमुख कृतियाँ: नाटक, काव्य रचनाएँ, कविता।
    • भाषा शैली: सामाजिक जागरूकता, शास्त्रीयता से मुक्त।

(ख) कवि परिचय, जीवनी, कृतियाँ, साहित्यिक विशेषताएँ (शब्द सीमा अधिकतम-80)

  1. निराला:
    • जीवनी: 1899-1961, छायावादी कवि।
    • प्रमुख कृतियाँ: “राम की शक्ति पूजा”, “सरोज स्मृति”।
    • साहित्यिक विशेषताएँ: आत्मनिर्भरता, संवेदनशीलता, भारतीय जीवन का चित्रण।
  2. पंत:
    • जीवनी: 1900-1961, छायावादी कवि।
    • प्रमुख कृतियाँ: “तृष्णा”, “रश्मि रथी”।
    • साहित्यिक विशेषताएँ: प्रकृति प्रेम, आंतरिक विश्व का चित्रण।

6. कहानी-चरित्र-चित्रण, कहानी के तत्व एवं तथ्यों पर आधारित

  • कहानी के तत्व:
    • कथानक: कहानी का मुख्य घटनाक्रम।
    • पात्र: मुख्य और सहायक पात्र जो कहानी की दिशा तय करते हैं।
    • संदेश: कहानी के माध्यम से समाज, जीवन और नैतिकता के बारे में संदेश।
  • चरित्र चित्रण:
    • पात्रों की मानसिकता, उद्देश्यों और उनकी विकास यात्रा का विश्लेषण करना।

7. खण्ड काव्य-निम्नलिखित पर आधारित लघु उत्तरीय प्रश्न

(क) खण्ड काव्य की विशेषताएँ

  1. खण्ड काव्य लंबी काव्य रचनाएँ होती हैं।
  2. इसमें कथानक, पात्र, और घटनाओं का विस्तृत रूप में चित्रण होता है।
  3. यह काव्य शास्त्र में शास्त्रीयता से अधिक निरंतरता और प्रवाह बनाए रखता है।

(ख) पात्रों का चरित्र चित्रण

  1. खण्ड काव्य में पात्रों के चरित्र का विस्तार से चित्रण किया जाता है।
  2. प्रत्येक पात्र की मानसिकता, उद्देश्यों, संघर्ष और चरित्र के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

(ग) प्रमुख घटनाएँ

  1. खण्ड काव्य में प्रमुख घटनाएँ कहानी के विकास को गति देती हैं।
  2. घटनाएँ पात्रों के विकास और संघर्ष का प्रमुख हिस्सा होती हैं।
  3. इन घटनाओं के माध्यम से कवि समाज, जीवन और धर्म के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है।

यह उत्तर सूची को समझने और याद करने के लिए उपयोगी हैं। प्रत्येक उत्तर में मुख्य बिंदुओं को संक्षेप में रखा गया है ताकि आप आसानी से इन्हें नोट्स के रूप में तैयार कर सकें।

यहाँ 25 वन-लाइनर प्रश्न और उनके उत्तर दिए गए हैं:

1. हिन्दी गद्य का उद्भव कब हुआ?

उत्तर: हिन्दी गद्य का उद्भव मध्यकाल में हुआ।

2. शुक्लयुग के प्रमुख लेखक कौन थे?

उत्तर: भारतेन्दु हरिश्चन्द्र और नन्दनारायण के प्रमुख लेखक थे।

3. शुक्लोत्तर युग में कौन से साहित्यिक आंदोलन हुए?

उत्तर: शुक्लोत्तर युग में स्वाधीनता संग्राम और सामाजिक सुधार आंदोलन हुए।

4. हिन्दी गद्य की प्रमुख विधाएं कौन सी हैं?

उत्तर: निबंध, उपन्यास, कहानी, आलोचना आदि प्रमुख विधाएं हैं।

5. भारतेन्दु युग के प्रमुख कवि कौन थे?

उत्तर: भारतेन्दु हरिश्चन्द्र और गोरख पाण्डेय थे।

6. द्विवेदी युग का प्रमुख उद्देश्य क्या था?

उत्तर: द्विवेदी युग का प्रमुख उद्देश्य शास्त्रीयता को पुनर्जीवित करना और सामाजिक जागरूकता फैलाना था।

7. छायावाद के प्रमुख कवि कौन थे?

उत्तर: सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’, पं. सुमित्रानंदन पंत, और जयशंकर प्रसाद थे।

8. प्रगतिवाद के प्रमुख कवि कौन थे?

उत्तर: दिनकर और नागार्जुन प्रमुख प्रगतिवादी कवि थे।

9. नई कविता आंदोलन की विशेषता क्या थी?

उत्तर: नई कविता का उद्देश्य यथार्थवाद, व्यक्तिवाद, और सामूहिक चेतना को उजागर करना था।

10. हिन्दी गद्य में “निबंध” का क्या स्थान है?

उत्तर: निबंध गद्य का एक महत्वपूर्ण रूप है, जिसमें लेखक के विचार और चिंतन का विस्तार से विश्लेषण किया जाता है।

11. प्रेमचंद की प्रमुख कृति कौन सी है?

उत्तर: प्रेमचंद की प्रमुख कृति “गोदान” है।

12. हिन्दी साहित्य में “आलोचना” का क्या महत्व है?

उत्तर: आलोचना साहित्यिक कृतियों का विश्लेषण और मूल्यांकन करती है।

13. काव्य साहित्य का प्रमुख उद्देश्य क्या है?

उत्तर: काव्य साहित्य का उद्देश्य समाज की स्थितियों, मानवीय भावनाओं और विचारों को रूपक, प्रतीक और शिल्प के माध्यम से व्यक्त करना है।

14. भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की प्रमुख कृति क्या है?

उत्तर: “नाटक” और “काव्य रचनाएँ” उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं।

15. प्रेमचंद की लेखन शैली की विशेषता क्या थी?

उत्तर: प्रेमचंद की लेखन शैली सरल, वास्तविक और समाजिक दृष्टिकोण से प्रेरित थी।

16. निराला की प्रमुख काव्य कृति क्या है?

उत्तर: “राम की शक्ति पूजा” निराला की प्रमुख काव्य कृति है।

17. हिन्दी गद्य का प्रमुख योगदान क्या है?

उत्तर: हिन्दी गद्य ने सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक जागरूकता को बढ़ाया।

18. “गोदान” काव्य किस लेखक की कृति है?

उत्तर: “गोदान” प्रेमचंद की काव्य कृति है।

19. प्रगति के दृष्टिकोण से “नई कविता” क्या दर्शाती है?

उत्तर: “नई कविता” यथार्थवादी दृष्टिकोण और सामाजिक बदलाव की ओर संकेत करती है।

20. भारतेंदु युग के प्रमुख साहित्यिक विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर: भारतेंदु युग में सामाजिक जागरूकता और भारतीय संस्कृति का पुनर्निर्माण किया गया।

21. कहानी के प्रमुख तत्व कौन से हैं?

उत्तर: कहानी के प्रमुख तत्व हैं कथानक, पात्र, संवाद और घटनाएँ।

22. खण्ड काव्य की विशेषता क्या है?

उत्तर: खण्ड काव्य लंबी काव्य रचनाएँ होती हैं, जिनमें कथानक और पात्रों का विस्तृत चित्रण होता है।

23. हिन्दी गद्य के “उपन्यास” की विशेषता क्या है?

उत्तर: उपन्यास गद्य का एक विस्तृत रूप है जिसमें समाज, मनोविज्ञान और घटनाओं का गहरे स्तर पर चित्रण किया जाता है।

24. कवि शंकर की काव्य विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर: कवि शंकर की कविता में प्रगति, सामाजिक संघर्ष और मानवीय संवेदनाओं का चित्रण किया गया है।

25. निबंध लेखन का उद्देश्य क्या है?

उत्तर: निबंध लेखन का उद्देश्य विचारों का व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करना और समाज की विभिन्न समस्याओं पर चर्चा करना है।

यह सूची हिन्दी साहित्य के विभिन्न पहलुओं को संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करती है।

यहाँ 25 बहुविकल्पी प्रश्न (MCQs) तैयार किए गए हैं, जो हिन्दी साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर आधारित हैं:

1. हिन्दी गद्य का उद्भव कब हुआ?

a) 10वीं सदी
b) 12वीं सदी
c) 18वीं सदी
d) 19वीं सदी
उत्तर: d) 19वीं सदी

2. ‘भारतेन्दु युग’ का प्रमुख उद्देश्य क्या था?

a) भारतीय समाज में जागरूकता लाना
b) हिन्दी कविता का विकास करना
c) शास्त्रीयता को बढ़ावा देना
d) नई कविता का निर्माण
उत्तर: a) भारतीय समाज में जागरूकता लाना

3. प्रेमचंद की प्रमुख कृति कौन सी है?

a) गोदान
b) गोधूलि
c) शतरंज के खिलाड़ी
d) कर्मभूमि
उत्तर: a) गोदान

4. ‘नई कविता’ आंदोलन में किसका योगदान था?

a) दिनकर
b) कवि शंकर
c) नागार्जुन
d) सभी
उत्तर: d) सभी

5. हिन्दी गद्य की प्रमुख विधाएं कौन सी हैं?

a) निबंध और उपन्यास
b) कविता और ग़ज़ल
c) उपन्यास और कहानी
d) निबंध, उपन्यास, कहानी, आलोचना
उत्तर: d) निबंध, उपन्यास, कहानी, आलोचना

6. कविता ‘राम की शक्ति पूजा’ किसकी रचना है?

a) सूरदास
b) निराला
c) पंत
d) प्रसाद
उत्तर: b) निराला

7. ‘छायावाद’ आंदोलन में किसने प्रमुख भूमिका निभाई?

a) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
b) महादेवी वर्मा
c) पं. सुमित्रानंदन पंत
d) सभी
उत्तर: d) सभी

8. ‘भारतेंदु हरिश्चंद्र’ की प्रमुख कृति कौन सी है?

a) गोदान
b) नाटक रचनाएँ
c) कर्मभूमि
d) शतरंज के खिलाड़ी
उत्तर: b) नाटक रचनाएँ

9. द्विवेदी युग का प्रमुख उद्देश्य क्या था?

a) भारतीय साहित्य की पुनः रचनात्मकता
b) शास्त्रीयता को बढ़ावा देना
c) समाज सुधार
d) सभी
उत्तर: b) शास्त्रीयता को बढ़ावा देना

10. ‘प्रगतिवाद’ आंदोलन के प्रमुख कवि कौन थे?

a) दिनकर
b) कवि शंकर
c) नागार्जुन
d) सभी
उत्तर: d) सभी

11. ‘नई कविता’ के प्रमुख तत्व क्या हैं?

a) व्यक्तिवाद और यथार्थवाद
b) धार्मिकता और शास्त्रीयता
c) आदर्शवाद और आत्मनिर्भरता
d) राष्ट्रीयता और समृद्धि
उत्तर: a) व्यक्तिवाद और यथार्थवाद

12. हिन्दी साहित्य में ‘निबंध’ की परिभाषा क्या है?

a) कविता का विश्लेषण
b) विचारों का लेखन
c) प्रेम कथा
d) लघु कथा
उत्तर: b) विचारों का लेखन

13. हिन्दी गद्य की ‘कहानी’ का उद्देश्य क्या होता है?

a) सामाजिक समस्याओं का समाधान
b) यथार्थवादी चित्रण
c) जीवन के संघर्षों का प्रदर्शन
d) ऐतिहासिक घटनाओं का वर्णन
उत्तर: c) जीवन के संघर्षों का प्रदर्शन

14. कवि सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ की काव्यशैली क्या थी?

a) शास्त्रीय और आदर्शवादी
b) भावुक और व्यक्तिवादी
c) पं. रविंद्रनाथ ठाकुर से प्रेरित
d) प्राकृतिक और वर्णात्मक
उत्तर: b) भावुक और व्यक्तिवादी

15. ‘आलोचना’ का साहित्य में क्या उद्देश्य है?

a) काव्य रचनाओं का मूल्यांकन
b) गद्य का विश्लेषण
c) कवि का जीवन परिचय
d) विचारधारा का प्रचार
उत्तर: a) काव्य रचनाओं का मूल्यांकन

16. ‘प्रेमचंद’ का असली नाम क्या था?

a) हरिशंकर
b) शंकर पं.
c) धनपत राय
d) नरेंद्र शर्मा
उत्तर: c) धनपत राय

17. ‘उपन्यास’ की विशेषता क्या है?

a) छोटा आकार
b) गहरी भावनाओं का चित्रण
c) विस्तृत घटनाओं का और पात्रों का विवरण
d) शास्त्रीय रूप में संरचित
उत्तर: c) विस्तृत घटनाओं का और पात्रों का विवरण

18. कविता ‘तृष्णा’ किसकी रचना है?

a) केदारनाथ सिंह
b) पंत
c) महादेवी वर्मा
d) निराला
उत्तर: b) पंत

19. काव्य साहित्य का ‘प्रकृति प्रेम’ किस आन्दोलन में देखा गया?

a) छायावाद
b) प्रगतिवाद
c) नयी कविता
d) द्विवेदी युग
उत्तर: a) छायावाद

20. कवि शंकर की काव्य विशेषता क्या थी?

a) सामाजिक और साहित्यिक विचार
b) आलोचना पर आधारित काव्य
c) काव्य में यथार्थवाद और प्रगति
d) प्रेम और शांति पर आधारित काव्य
उत्तर: c) काव्य में यथार्थवाद और प्रगति

21. ‘काव्य’ में ‘आत्मिकता’ किस आंदोलन का हिस्सा है?

a) छायावाद
b) प्रगतिवाद
c) नवजागरण
d) नई कविता
उत्तर: a) छायावाद

22. ‘निराला’ की काव्य रचनाओं में प्रमुख रूप से क्या चित्रित किया गया है?

a) भारतीय राजनीति
b) समाज की सच्चाईयाँ
c) प्रेम और दुःख
d) प्राकृतिक सौंदर्य
उत्तर: c) प्रेम और दुःख

23. हिन्दी गद्य के ‘निबंध’ के लेखक कौन थे?

a) गणेशशंकर विद्यार्थी
b) पं. नेहरू
c) बाल गंगाधर तिलक
d) सभी
उत्तर: d) सभी

24. ‘नयी कविता’ की एक प्रमुख विशेषता क्या थी?

a) पारंपरिक कवि रूप
b) संवेदनशीलता और व्यक्तिवाद
c) शास्त्रीयता और प्रतीकवाद
d) आदर्शवादी दृष्टिकोण
उत्तर: b) संवेदनशीलता और व्यक्तिवाद

25. ‘खण्ड काव्य’ का उद्देश्य क्या है?

a) आदर्श चित्रण
b) लंबी घटनाओं और पात्रों का विस्तार
c) इतिहास का चित्रण
d) प्रेम कविताएँ
उत्तर: b) लंबी घटनाओं और पात्रों का विस्तार

ये बहुविकल्पी प्रश्न हिन्दी साहित्य के विभिन्न पहलुओं को कवर करते हैं और इन्हें परीक्षा की तैयारी के लिए उपयोगी माना जा सकता है।

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