अभिक्रिया की दर या अभिक्रिया की दर या वेग (Reaction Rate या Rate of Reaction) का अर्थ है
किसी रासायनिक अभिक्रिया में प्रतिभागी पदार्थों की मात्रा में परिवर्तन की दर। यह दर से तात्पर्य है कि कितनी तेजी से अभिक्रिया हो रही है।
अभिक्रिया की दर को प्रभावित करने वाले कारक:
1. सांद्रता (Concentration): अभिक्रिया में भाग लेने वाले पदार्थों की सांद्रता बढ़ने से अभिक्रिया की दर बढ़ती है।
2. तापमान (Temperature): तापमान बढ़ने से अभिक्रिया की दर बढ़ती है।3. दबाव (Pressure): दबाव बढ़ने से अभिक्रिया की दर बढ़ती है।4. कैटैलिस्ट (Catalyst): कैटैलिस्ट की उपस्थिति में अभिक्रिया की दर बढ़ती है।5. प्रतिक्रिया की प्रकृति (Nature of Reaction): अभिक्रिया की प्रकृति भी दर को प्रभावित करती है।
5. प्रतिक्रिया की प्रकृति (Nature of Reaction): अभिक्रिया की प्रकृति भी दर को प्रभावित करती है।
अभिक्रिया की दर को मापने के तरीके:
1. समय के साथ सांद्रता में परिवर्तन को मापना।
2. उत्पाद की मात्रा को मापना।
3. अभिक्रिया के दौरान ऊर्जा के परिवर्तन को मापना।
अभिक्रिया की दर का महत्व:
1. रासायनिक उद्योग में उत्पादन की दर को नियंत्रित करने।
2. अभिक्रिया की दक्षता में सुधार करने।
3. अभिक्रिया के दौरान ऊर्जा की बचत करने।
4. पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने।
वेग नियम या दर व्यंजकवेग नियम या दर व्यंजक (Rate Law या Rate Expression)
एक गणितीय समीकरण है जो किसी रासायनिक अभिक्रिया की दर को उसके प्रतिभागी पदार्थों की सांद्रता और अन्य कारकों के साथ संबंधित करता है।
वेग नियम का सामान्य रूप:rate = k[A]^m[B]^nजहां:- rate = अभिक्रिया की दर- k = वेग स्थिरांक (rate constant)- [A] और [B] = प्रतिभागी पदार्थों की सांद्रता- m और n = सांद्रता की शक्तियाँ (order of reaction)
वेग नियम के प्रकार:
1. प्रथम क्रम अभिक्रिया (First Order Reaction):
rate = k[A]
2. द्वितीय क्रम अभिक्रिया (Second Order Reaction): rate = k[A]^2
3. तृतीय क्रम अभिक्रिया (Third Order Reaction): rate = k[A]^3
वेग नियम का महत्व:
1. अभिक्रिया की दर को नियंत्रित करने।
2. अभिक्रिया की दक्षता में सुधार करने।
3. अभिक्रिया के दौरान ऊर्जा की बचत करने।
4. पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने।
वेग नियम के उदाहरण:
1. हाइड्रोजन और ब्रोमिन की अभिक्रिया: H2 + Br2 → 2HBrrate = k[H2][Br2]
2. नाइट्रोजन और ऑक्सीजन की अभिक्रिया: N2 + O2 → 2NOrate = k[N2][O2]
वेग नियम को समझने से हमें अभिक्रिया की दर को नियंत्रित करने और अभिक्रिया की दक्षता में सुधार करने में मदद मिलती है।
अभिक्रिया की कोटि ज्ञात करने की विधियांअभिक्रिया की कोटि (Order of Reaction) ज्ञात करने के लिए निम्नलिखित विधियाँ उपयोग की जाती हैं:
1. Integration विधि: इस विधि में, अभिक्रिया की दर के समीकरण को इंटीग्रेट किया जाता है और फिर सांद्रता के साथ इसका संबंध स्थापित किया जाता है।
2. Differential विधि: इस विधि में, अभिक्रिया की दर के समीकरण को डिफरेंशियल किया जाता है और फिर सांद्रता के साथ इसका संबंध स्थापित किया जाता है।
3. ग्राफिकल विधि (Graphical Method): इस विधि में, अभिक्रिया की दर और सांद्रता के बीच संबंध को ग्राफ पर प्लॉट किया जाता है और फिर इसकी कोटि निर्धारित की जाती है।
4. कम्प्यूटर विधि (Computer Method): इस विधि में, कम्प्यूटर का उपयोग करके अभिक्रिया की दर और सांद्रता के बीच संबंध को विश्लेषित किया जाता है और फिर इसकी कोटि निर्धारित की जाती है।
अभिक्रिया की कोटि के प्रकार:
1. प्रथम क्रम अभिक्रिया (First Order Reaction)
2. द्वितीय क्रम अभिक्रिया (Second Order Reaction)
3. तृतीय क्रम अभिक्रिया (Third Order Reaction)
4. मिश्रित क्रम अभिक्रिया (Mixed Order Reaction)अभिक्रिया की कोटि का ज्ञान हमें अभिक्रिया की दर को नियंत्रित करने और अभिक्रिया की दक्षता में सुधार करने में मदद करता है।
प्रथम कोटि की अभिक्रियाप्रथम कोटि की अभिक्रिया (First Order Reaction) एक प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें अभिक्रिया की दर केवल एक प्रतिभागी पदार्थ की सांद्रता पर निर्भर करती है।प्रथम कोटि की अभिक्रिया की विशेषताएं:
1. अभिक्रिया की दर केवल एक प्रतिभागी पदार्थ की सांद्रता पर निर्भर करती है।2. अभिक्रिया की दर का समीकरण: rate = k[A]
3. जहां k = वेग स्थिरांक (rate constant) और
[A] = प्रतिभागी पदार्थ की सांद्रता
4. अभिक्रिया की दर समय के साथ घटती है।
5. अभिक्रिया की पूर्णता के लिए अनंत समय लगता है।प्रथम कोटि की अभिक्रिया के उदाहरण:
प्रथम कोटि की अभिक्रिया के उदाहरण:
1. रेडियोधर्मी पदार्थों का क्षय
2. कार्बनिक पदार्थों का विखंडन
3. हाइड्रोजन पेरॉक्साइड का विखंडनप्रथम कोटि की अभिक्रिया के लिए उपयोग किए जाने वाले समीकरण:
1. लॉगरिदमिक समीकरण: ln[A] = -kt + ln[A]₀
2. एक्सपोनेंशियल समीकरण: [A] = [A]₀ e^(-kt)
जहां:[A] = प्रतिभागी पदार्थ की सांद्रता
[A]₀ = प्रारंभिक सांद्रता
k = वेग स्थिरांक
t = समय
प्रथम कोटि की अभिक्रिया का महत्व:
1. रासायनिक उद्योग में उत्पादन की दर को नियंत्रित करने।
2. अभिक्रिया की दक्षता में सुधार करने।
3. पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने। द्वितीय कोर्ट की अभिक्रिया द्वितीय कोटि की अभिक्रिया (Second Order Reaction) एक प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें अभिक्रिया की दर दो प्रतिभागी पदार्थों की सांद्रता पर निर्भर करती है।
द्वितीय कोर्ट की अभिक्रिया द्वितीय कोटि की अभिक्रिया (Second Order Reaction) एक प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें अभिक्रिया की दर दो प्रतिभागी पदार्थों की सांद्रता पर निर्भर करती है।
द्वितीय कोटि की अभिक्रिया की विशेषताएं:
1. अभिक्रिया की दर दो प्रतिभागी पदार्थों की सांद्रता पर निर्भर करती है।
2. अभिक्रिया की दर का समीकरण: rate = k[A][B]
3. जहां k = वेग स्थिरांक (rate constant),
[A] और [B] = प्रतिभागी पदार्थों की सांद्रता
4. अभिक्रिया की दर समय के साथ घटती है।
5. अभिक्रिया की पूर्णता के लिए अनंत समय लगता है।
द्वितीय कोटि की अभिक्रिया के प्रकार:
1. समान द्वितीय कोटि अभिक्रिया (Same Second Order Reaction): दोनों प्रतिभागी पदार्थों की सांद्रता समान होती है।
2. असमान द्वितीय कोटि अभिक्रिया (Different Second Order Reaction): दोनों प्रतिभागी पदार्थों की सांद्रता अलग-अलग होती है।द्वितीय कोटि की अभिक्रिया के उदाहरण:
1. हाइड्रोजन और ब्रोमिन की अभिक्रिया
2. नाइट्रोजन और ऑक्सीजन की अभिक्रिया
3. कार्बनिक पदार्थों का पॉलीमराइजेशन
द्वितीय कोटि की अभिक्रिया के लिए उपयोग किए जाने वाले समीकरण:
1. समान द्वितीय कोटि अभिक्रिया के लिए: 1/[A] = kt + 1/[A]₀
2. असमान द्वितीय कोटि अभिक्रिया के लिए:
1/[A] – 1/[B] = kt + 1/[A]₀ – 1/[B]₀
जहां:[A] और [B] = प्रतिभागी पदार्थों की सांद्रता
[A]₀ और [B]₀ = प्रारंभिक सांद्रता
k = वेग स्थिरांक
t = समय
द्वितीय कोटि की अभिक्रिया का महत्व:
1. रासायनिक उद्योग में उत्पादन की दर को नियंत्रित करने।
2. अभिक्रिया की दक्षता में सुधार करने।
3. पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने।
तृतीय कोटी की अभिक्रिया तृतीय कोटि की अभिक्रिया (Third Order Reaction) एक प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें अभिक्रिया की दर तीन प्रतिभागी पदार्थों की सांद्रता पर निर्भर करती है।
तृतीय कोटि की अभिक्रिया की विशेषताएं:
1. अभिक्रिया की दर तीन प्रतिभागी पदार्थों की सांद्रता पर निर्भर करती है।
2. अभिक्रिया की दर का समीकरण: rate = k[A][B][C]
3. जहां k = वेग स्थिरांक (rate constant), [A], [B] और [C] = प्रतिभागी पदार्थों की सांद्रता
4. अभिक्रिया की दर समय के साथ घटती है।
5. अभिक्रिया की पूर्णता के लिए अनंत समय लगता है।
तृतीय कोटि की अभिक्रिया के प्रकार:
1. समान तृतीय कोटि अभिक्रिया (Same Third Order Reaction): तीनों प्रतिभागी पदार्थों की सांद्रता समान होती है।
2. असमान तृतीय कोटि अभिक्रिया (Different Third Order Reaction): तीनों प्रतिभागी पदार्थों की सांद्रता अलग-अलग होती है।
तृतीय कोटि की अभिक्रिया के उदाहरण:
1. हाइड्रोजन, ब्रोमिन और क्लोरिन की अभिक्रिया
2. नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और कार्बन मोनोक्साइड की अभिक्रिया
3. कार्बनिक पदार्थों का ट्राइमराइजेशन
तृतीय कोटि की अभिक्रिया के लिए उपयोग किए जाने वाले समीकरण:
1. समान तृतीय कोटि अभिक्रिया के लिए: 1/[A]^2 = kt + 1/[A]₀^2
2. असमान तृतीय कोटि अभिक्रिया के लिए:
1/[A][B][C] = kt + 1/[A]₀[B]₀[C]₀
जहां:[A], [B] और [C] = प्रतिभागी पदार्थों की सांद्रता
[A]₀, [B]₀ और [C]₀ = प्रारंभिक सांद्रता
k = वेग स्थिरांक
t = समय
तृतीय कोटि की अभिक्रिया का महत्व:
1. रासायनिक उद्योग में उत्पादन की दर को नियंत्रित करने।
2. अभिक्रिया की दक्षता में सुधार करने।
3. पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करने।
