Class 10th science important question Notes 2025 Upboard

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1- संयोजन तथा वियोजन अभिक्रिया की परिभाषा:

संयोजन अभिक्रिया (Combination Reaction):

संयोजन अभिक्रिया वह अभिक्रिया है जिसमें दो या दो से अधिक पदार्थ मिलकर एक नया पदार्थ बनाते हैं।

उदाहरण:

2Na + Cl2 → 2NaCl

वियोजन अभिक्रिया (Decomposition Reaction):

वियोजन अभिक्रिया वह अभिक्रिया है जिसमें एक पदार्थ दो या दो से अधिक पदार्थों में टूट जाता है।

उदाहरण:

2H2O → 2H2 + O2

संयोजन तथा वियोजन अभिक्रिया के लक्षण:

संयोजन अभिक्रिया:

1. दो या दो से अधिक पदार्थ मिलकर एक नया पदार्थ बनाते हैं।

2. नए पदार्थ की संरचना में बदलाव होता है।

3. अभिक्रिया में ऊर्जा का अवशोषण होता है।

वियोजन अभिक्रिया:

1. एक पदार्थ दो या दो से अधिक पदार्थों में टूट जाता है।

2. पदार्थ की संरचना में बदलाव होता है।

3. अभिक्रिया में ऊर्जा का उत्सर्जन होता है।

इन अभिक्रियाओं के महत्व:

संयोजन अभिक्रिया:

1. नए पदार्थों का निर्माण।

2. पदार्थों के गुणों में बदलाव।

3. ऊर्जा का अवशोषण।

वियोजन अभिक्रिया:

1. पदार्थों का विघटन।

2. नए पदार्थों का निर्माण।

3. ऊर्जा का उत्सर्जन।

2-ऊष्माक्षेपी तथा ऊष्माशोषी अभिक्रिया की परिभाषा:

ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया (Exothermic Reaction):

ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया वह अभिक्रिया है जिसमें ऊर्जा का उत्सर्जन होता है और पर्यावरण में ऊष्मा का संचार होता है।

उदाहरण:

कार्बन + ऑक्सीजन → कार्बन डाइऑक्साइड + ऊष्मा

ऊष्माशोषी अभिक्रिया (Endothermic Reaction):

ऊष्माशोषी अभिक्रिया वह अभिक्रिया है जिसमें ऊर्जा का अवशोषण होता है और पर्यावरण से ऊष्मा का संचार होता है।

उदाहरण:

कार्बन डाइऑक्साइड + ऊष्मा → कार्बन + ऑक्सीजन

ऊष्माक्षेपी तथा ऊष्माशोषी अभिक्रिया के लक्षण:

ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया:

1. ऊर्जा का उत्सर्जन होता है।

2. पर्यावरण में ऊष्मा का संचार होता है।

3. तापमान में वृद्धि होती है।

4. अभिक्रिया में ऊर्जा का निर्माण होता है।

ऊष्माशोषी अभिक्रिया:

1. ऊर्जा का अवशोषण होता है।

2. पर्यावरण से ऊष्मा का संचार होता है।

3. तापमान में कमी होती है।

4. अभिक्रिया में ऊर्जा का उपयोग होता है।इन अभिक्रियाओं के महत्व:

ऊष्माक्षेपी अभिक्रिया:

1. ऊर्जा का उत्पादन।

2. तापमान में वृद्धि।

3. रासायनिक अभिक्रियाओं में उपयोग।

ऊष्माशोषी अभिक्रिया:

1. ऊर्जा का अवशोषण।

2. तापमान में कमी।

3. रासायनिक अभिक्रियाओं में उपयोग।

3- रासायनिक समीकरण संतुलित करने की विधि:

1. समीकरण लिखें: सबसे पहले, रासायनिक समीकरण लिखें जिसमें अभिक्रिया के प्रतिभागी और उत्पाद शामिल हों।

2. अभिक्रिया के प्रकार की पहचान करें:

समीकरण के आधार पर अभिक्रिया के प्रकार की पहचान करें, जैसे कि संयोजन, वियोजन, विस्थापन आदि।

3. संतुलन की आवश्यकता की जांच करें:

समीकरण में परमाणुओं की संख्या की जांच करें और देखें कि क्या वे संतुलित हैं।

4. संतुलन के लिए गुणक जोड़ें: यदि समीकरण संतुलित नहीं है, तो गुणक जोड़कर संतुलन प्राप्त करें।

5. संतुलन की जांच करें: गुणक जोड़ने के बाद समीकरण की जांच करें और देखें कि क्या यह संतुलित

उदाहरण:असंतुलित समीकरण:

Fe + O2 → Fe2O3

संतुलित समीकरण:

4Fe + 3O2 → 2Fe2O3

संतुलन के नियम:

1. परमाणुओं की संख्या संतुलित होनी चाहिए।

2. गुणक केवल अभिक्रिया के प्रतिभागियों के आगे जोड़े जा सकते हैं।

3. गुणक कभी भी अभिक्रिया के प्रतिभागियों के अंदर नहीं जोड़े जा सकते हैं।

4. संतुलन के लिए गुणक जोड़ने से पहले अभिक्रिया के प्रकार की पहचान करनी चाहिए।

4- अम्ल, छार, और लवण की परिभाषा और उदाहरण:

अम्ल (Acid)परिभाषा: अम्ल वे पदार्थ होते हैं जो जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन (H+) का उत्पादन करते हैं.

उदाहरण:1. हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl)2. सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4)3. नाइट्रिक अम्ल (HNO3)4. एसिटिक अम्ल (CH3COOH)

छार (Base)परिभाषा: छार वे पदार्थ होते हैं जो जल में घुलकर हाइड्रॉक्साइड आयन (OH-) का उत्पादन करते हैं.

उदाहरण:1. सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH)

2. पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड (KOH)

3. कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड (Ca(OH)2)

4. एमोनिया (NH3)

लवण (Salt)परिभाषा: लवण अम्ल और छार के बीच अभिक्रिया से बने पदार्थ होते हैं जो आयनिक यौगिक होते

उदाहरण:1. सोडियम क्लोराइड (NaCl)

2. पोटैशियम नाइट्रेट (KNO3)

3. कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO3)

4. एमोनियम क्लोराइड (NH4Cl)

5- अम्ल, छार, और लवण के गुण:

अम्ल:1. जल में घुलकर हाइड्रोजन आयन का उत्पादन करते हैं

2. छार के साथ अभिक्रिया करके लवण और जल बनाते हैं

3. अधिकांश अम्ल तेजाबी होते हैं

छार:1. जल में घुलकर हाइड्रॉक्साइड आयन का उत्पादन करते हैं

2. अम्ल के साथ अभिक्रिया करके लवण और जल बनाते हैं

3. अधिकांश छार क्षारीय होते हैं

6- बेकिंग सोडा बनाने की विधि:बेकिंग सोडा का रासायनिक नाम सोडियम बाइकार्बोनेट है। यह एक महत्वपूर्ण रसायन है जिसका उपयोग खाना पकाने, सफाई और दवाओं में किया जाता है।

सामग्री:1. सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3)

2. हाइड्रोक्लोरिक एसिड (HCl)

3. पानी

विधि:

1. सोडियम कार्बोनेट और हाइड्रोक्लोरिक एसिड को मिलाकर एक मिश्रण तैयार करें।

2. इस मिश्रण में पानी मिलाएं और अच्छी तरह से मिलाएं।

3. मिश्रण को गरम करें और उबाल लें।

4. उबाल के बाद, मिश्रण को ठंडा करें और फिर इसे फिल्टर करें।

5. फिल्टर किए गए मिश्रण को सुखाएं और बेकिंग सोडा प्राप्त करें।

रासायनिक समीकरण:

Na2CO3 + 2HCl → 2NaHCO3 + CO2

इस प्रक्रिया में, सोडियम कार्बोनेट और हाइड्रोक्लोरिक एसिड के बीच अभिक्रिया होती है, जिससे सोडियम बाइकार्बोनेट (बेकिंग सोडा) और कार्बन डाइऑक्साइड गैस बनती है।

बेकिंग सोडा के उपयोग:

1. खाना पकाने में (केक, बिस्किट, आदि)

2. सफाई में (दांतों की सफाई, आदि)

3. दवाओं में (एंटासिड, आदि)

4. घरेलू उपयोग में (पiped water की सफाई, आदि)

यह ध्यान रखें कि बेकिंग सोडा बनाने की यह विधि केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसका व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

7- धावन सोडा बनाने की विधि:धावन सोडा का रासायनिक नाम सोडियम कार्बोनेट है। यह एक महत्वपूर्ण रसायन है जिसका उपयोग धुलाई, सफाई और उद्योगों में किया जाता है।

सामग्री:

1. सोडियम क्लोराइड (NaCl)

2. अमोनिया (NH3)

3. कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)

4. पानी

विधि:

1. सोडियम क्लोराइड और अमोनिया को मिलाकर एक मिश्रण तैयार करें।

2. इस मिश्रण में कार्बन डाइऑक्साइड गैस मिलाएं।

3. मिश्रण को गरम करें और उबाल लें।

4. उबाल के बाद, मिश्रण को ठंडा करें और फिर इसे फिल्टर करें।

5. फिल्टर किए गए मिश्रण को सुखाएं और धावन सोडा प्राप्त करें।

रासायनिक समीकरण:

2NaCl + 2NH3 + CO2 + H2O → Na2CO3 + 2NH4Cl

इस प्रक्रिया में, सोडियम क्लोराइड, अमोनिया, कार्बन डाइऑक्साइड और पानी के बीच अभिक्रिया होती है, जिससे सोडियम कार्बोनेट (धावन सोडा) और अमोनियम क्लोराइड बनता है।

धावन सोडा के उपयोग:

1. कपड़ों की धुलाई में

2. सफाई में (फर्श, दीवारें आदि)

3. उद्योगों में (कागज़, कांच आदि)

4. जल शुद्धिकरण मेंयह ध्यान रखें कि धावन सोडा बनाने की यह विधि केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसका व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

8- प्लास्टर ऑफ पेरिस (Plaster of Paris) एक प्रकार का बिल्डिंग मैटेरियल है जो जिप्सम (गिप्सम) के पाउडर से बनाया जाता है। इसका रासायनिक नाम कैल्शियम सल्फेट हेमिहाइड्रेट है।

सूत्र: CaSO4·1/2H2O

प्लास्टर ऑफ पेरिस बनाने की विधि:

1. जिप्सम को पाउडर में बदलें।

2. पाउडर को गरम पानी में मिलाएं।

3. मिश्रण को अच्छी तरह से मिलाएं।

4. मिश्रण को सुखाएं और प्लास्टर ऑफ पेरिस प्राप्त करें।

प्लास्टर ऑफ पेरिस के गुण:

1. यह एक हल्का और मजबूत मैटेरियल है।

2. यह जल्दी से सुख जाता है।

3. यह जल के साथ अभिक्रिया करके कठोर हो जाता है।

4. यह एक अच्छा थर्मल इन्सुलेटर है।

प्लास्टर ऑफ पेरिस के उपयोग:

1. बिल्डिंग निर्माण में

2. सजावटी काम में

3. मूर्ति बनाने में

4. चिकित्सा में (फ्रैक्चर के इलाज में)

5. कला और शिल्प मेंप्लास्टर ऑफ पेरिस के फायदे:

1. यह एक सस्ता मैटेरियल है।

2. यह आसानी से उपलब्ध है।

3. यह जल्दी से सुख जाता है।

4. यह एक मजबूत मैटेरियल है।

प्लास्टर ऑफ पेरिस के नुकसान:

1. यह जल के साथ अभिक्रिया करके कठोर हो जाता है।

2. यह तापमान के बदलाव से प्रभावित होता है।

3. यह एक हल्का मैटेरियल है, इसलिए यह भारी भार को सहन नहीं कर सकता है।

9- उदासीनीकरण अभिक्रिया (न्यूट्रलाइजेशन रिएक्शन)

एक प्रकार की रासायनिक अभिक्रिया है जिसमें एक अम्ल और एक छार के बीच अभिक्रिया होती है, जिससे एक लवण और जल बनता है।

उदासीनीकरण अभिक्रिया का सामान्य सूत्र:अम्ल + छार → लवण + जल

उदाहरण:1. हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) + सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) → सोडियम क्लोराइड (NaCl) + जल (H2O)

HCl + NaOH → NaCl + H2O

1. सल्फ्यूरिक अम्ल (H2SO4) + कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड (Ca(OH)2) → कैल्शियम सल्फेट (CaSO4) + जल (H2O)H2SO4 + Ca(OH)2 → CaSO4 + 2H2O

उदासीनीकरण अभिक्रिया के गुण:

1. अम्ल और छार के बीच अभिक्रिया होती है।

2. लवण और जल बनता है।

3. अभिक्रिया में ऊर्जा का उत्सर्जन होता है।

4. अभिक्रिया का pH मान 7 होता है।

उदासीनीकरण अभिक्रिया के उपयोग:

1. जल शुद्धिकरण में

2. औद्योगिक प्रक्रियाओं में

3. दवाओं के निर्माण में

4. खाद्य उद्योग में

5. पर्यावरण संरक्षण में

उदासीनीकरण अभिक्रिया के महत्व:

1. अम्ल और छार के बीच संतुलन बनाए रखने में।

2. जल की शुद्धता बनाए रखने में।

3. औद्योगिक प्रक्रियाओं में उपयोगी।

4. दवाओं के निर्माण में उपयोगी।

5. पर्यावरण संरक्षण में उपयोगी।

10- धातु और अधातु

10- धातु और अधातु के बीच मुख्य अंतर:

धातु:

1. धातु आमतौर पर चमकदार और आकर्षक होते हैं।

2. धातु अच्छे सुचालक होते हैं (विद्युत और ऊष्मा के लिए)।

3. धातु आमतौर पर मजबूत और लोचदार होते हैं।

4. धातु प्रतिक्रिया में भाग लेते हैं और आयन बनाते हैं।

5. धातु के उदाहरण: लोहा, तांबा, अल्युमिनियम, सोना, चांदी आदि।

अधातु:

1. अधातु आमतौर पर रंगहीन और भद्दे होते हैं।

2. अधातु खराब सुचालक होते हैं (विद्युत और ऊष्मा के लिए)।

3. अधातु आमतौर पर कमजोर और भंगुर होते हैं।

4. अधातु प्रतिक्रिया में भाग लेते हैं और आयन नहीं बनाते हैं।

5. अधातु के उदाहरण: कार्बन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, फॉस्फोरस, सल्फर आदि।धातु और अधातु के बीच अन्य अंतर:

1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास: धातु में इलेक्ट्रॉनों की एक अतिरिक्त परत होती है, जबकि अधातु में इलेक्ट्रॉनों की कमी होती है।

2. आयनीकरण ऊर्जा: धातु में आयनीकरण ऊर्जा कम होती है, जबकि अधातु में आयनीकरण ऊर्जा अधिक होती है।

3. अभिक्रिया की प्रवृत्ति: धातु आमतौर पर अभिक्रिया में भाग लेते हैं और आयन बनाते हैं, जबकि अधातु आमतौर पर अभिक्रिया में भाग नहीं लेते हैं।यह ध्यान रखें कि कुछ तत्व धातु और अधातु दोनों के गुणों को प्रदर्शित कर सकते हैं, जिन्हें मेटालॉइड कहा जाता है।

11- विद्युत रासायनिक श्रेणी (इलेक्ट्रोकेमिकल सीरीज) एक ऐसी श्रेणी है जिसमें तत्वों को उनकी विद्युत रासायनिक गतिविधि के आधार पर व्यवस्थित किया जाता है। इस श्रेणी में तत्वों को उनकी ऑक्सीकरण और कमीकरण क्षमता के आधार पर व्यवस्थित किया जाता है।विद्युत रासायनिक श्रेणी में तत्वों को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:

विद्युत रासायनिक श्रेणी में तत्वों को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:

*धातु*

1. एल्कली धातु (लिथियम, सोडियम, पोटैशियम, रुबिडियम, सीजियम)

2. एल्कलाइन अर्थ धातु (मैग्नीशियम, कैल्शियम, स्ट्रॉन्टियम, बेरिलियम)

3. लैंथानाइड धातु

4. एक्टिनाइड धातु

5. अन्य धातु (लोहा, तांबा, अल्युमिनियम, आदि)

*अधातु*

1. हैलोजेन (फ्लोरीन, क्लोरीन, ब्रोमीन, आयोडीन)

2. नोबल गैसें (हीलियम, नियॉन, आर्गन, क्रिप्टन, जेनॉन)

3. अन्य अधातु (कार्बन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, आदि)

*मेटालॉइड*

1. बोरॉन

2. सिलिकॉन

3. जर्मेनियम

4. आर्सेनिक

5. एंटिमनी

6. टेल्यूरियम

विद्युत रासायनिक श्रेणी के आधार पर, तत्वों की विद्युत रासायनिक गतिविधि को निम्नलिखित तरीके से वर्गीकृत किया जा सकता है:-

ऑक्सीकरण करने वाले तत्व (धातु)-

कमीकरण करने वाले तत्व (अधातु)-

दोनों ऑक्सीकरण और कमीकरण करने वाले तत्व (मेटालॉइड)यह श्रेणी रासायनिक अभिक्रियाओं को समझने और भविष्यवाणी करने में मदद करती है।

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