जनन
डी. एन. ए. प्रतिकृति का प्रजनन में महत्त्व
वास्तव में कोशिका केन्द्रक में पाए जाने वाले गुणसूत्रों के डी.एन.ए. के अणुओं में आनुवांशिक गुणों का संदेश होता है जो जनक से संतति पीढ़ी में जाता है।
डी.एन.ए. प्रतिकृति बनना भी पूर्णरूपेण विश्वसनीय नहीं होता है। अपितु इन प्रतिकृतियों में कुछ विभिन्नताएं उत्पन्न हो जाती हैं, जिनमें से कुछ ऐच्छिक विभिन्नताएं ही संतति में समावेश हो पाती है।
जीवों में विभिन्नता कैसे आती हैं-
जनन के दौरान जनन कोशिकाओं में डी.एन.ए. की दो प्रतिकृति (Copy) बनाती हैं इसके साथ-साथ दूसरी कोशिकीय संरचनाओं का सृजन भी होता हैं, और प्रतिकृतिया जब अलग होती हैं तो एक कोशिका विभाजित होकर दो कोशिकाएँ बनाती हैं। चूँकि कोशिका के केन्द्रक के डी.एन.ए. में प्रोटीन संश्लेषण के लिए सूचनाएँ भिन्न होती हैं इसलिए बनने वाले प्रोटीन में भिन्नता आ जाती हैं । ये सभी जैव-रासायनिक प्रक्रिया होती हैं जिसमें डी.एन.ए. की प्रतिकृति बनने के दौरान ही भिन्नता आ जाती हैं यही जीवों में विभिन्नता के कारण हैं।
जीवों में विभिन्नता का महत्व:-
(i) विभिन्नताओं के कारण ही जीवों कि समष्टि पारितंत्र में स्थान अथवा निकेत ग्रहण करती हैं ।
(ii) विभिन्न्ताएँ समष्टि में स्पीशीज की उत्तरजीविता बनाए रखने में उपयोगी हैं ।
(iii) जीवों में पायी जाने वाली विभिन्नताएँ ही जैव विकास का आधार हैं। जब तक संतति में विभिन्नताएँ न हो जैव-विकास नहीं कहा जा सकता हैं।
(iv) विभिन्नताएँ परिवर्तनशील परिस्थितियों में जीवित रहने की क्षमता प्रदान करती हैं।
जनन – जब कोई जीव अपने ही समान नये जीव को उत्पन्न करता है, उसे जनन कहते हैं। जिस तंत्र के द्वारा यह क्रिया होती है, उसे जनन तंत्र कहते हैं।
जीवों में जनन की विधियाँ:-
जीवों में जनन की विधियाँ जीवों के शारीरिक अभिकल्प (body Design) पर निर्भर करती हैं।