class 10 science important question 2025
कार्बन :-
कार्बन एक अधातु है, इसका रासायनिक प्रतिक चिन्ह C है तथा परमाणु क्रमांक 6 है | प्राकृतिक रूप से इसके समस्थानिकों की संख्या तीन है जो 12C, 13C तथा 14C हैं | इसका इलेक्ट्रोनिक विन्यास 2, 4 है तथा संयोजकता 4 है इसलिए यह चतुर्संयोजक है |
भोजन, कपड़े, दवाइयाँ, पुस्तकें या अन्य बहुत सी वस्तुएं जिसे आप सूचीबद्ध कर सकते हैं सभी इस सर्वतोमुखी तत्व कार्बन पर आधारित है | दुसरे शब्दों में, सभी सजीव आकृतियाँ कार्बन से बनी हैं |
कॉर्बन का परिचय →• कॉर्बन एक अधातु (Non- metal) है।• इसको ‘C’ से प्रदर्शित करते हैं।• परमाणु संख्या = प्रोटॉनों की संख्या = 6• परमाणु भार → 12• परमाणु संख्या (Z) → 6• न्यूट्रॉनों की संख्या (N) → परमाणु भार (A)– परमाणु संख्या (z)• जेम्स चैडविक → खोजकर्ताN = 12 – 6N = 6P = 6A = P + N = 12
कॉर्बन एक सर्वतोमुखी तत्व (सभी स्थानों पर पाया जाने वाला तत्व)• कॉर्बन भूपर्पटी में 0.02% तथा वायुमंडल में कॉर्बन की मात्रा 0.03% गैस के रूप में हैं।• जीव-जंतुओं व पेड़-पौधे कॉर्बन के यौगिकों से मिलकर बना है।
कॉर्बन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास →परमाणु संख्या = इलेक्ट्रॉनों की संख्या = 6K L↓ ↓2 4

कार्बन चर्तुसंयोजी है। कार्बन न तो चार इलेक्ट्रॉन खोकर (C4+ धनायन) न ही चार इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर (C4-ऋणायन) आयनिक आबंध बनता। चार अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनों को धारण करना कार्बन के लिए अत्यंत कठिन है। कार्बन द्वारा चार इलेक्ट्रॉन खोने के लिए अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी । इसीलिए कार्बन अपने अन्य परमाणु अथवा अन्य तत्वों के परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनों के साथ साझेदारी कर आबंध बनता हैं।⚬ कार्बन के अतिरिक्त के परमाणु हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और क्लोरीन भी इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी से आबंध बनाते हैं।
कार्बन के अपररूप :- क्रिस्टलीय अपररूप – वे अपररूप जिसमें कॉर्बन परमाणु एक निश्चित व्यवस्था में रहते हुए जिसकी संरचना निश्चित है तथा निश्चित कोण है, उसे क्रिस्टलीय अपररूप कहते है।क्रिस्टलीय अपररूप के प्रकार –

हीरा (Diamond) -→ हीरा सबसे कठोर तत्त्व है।→ चमकदार → विद्युत का कुचालक→ चतुष्फलकीय संरचना→ C-C परमाणुओं के मध्य की दूरी 154 Pm होती है।→ पारदर्शक→ शुद्ध कार्बन उपयोग –• आभूषण बनाने में• काँच काटने में
ग्रेफाइट :- प्रत्येक कार्बन अणु तीन अन्य कार्बन अणुओं से उसी तल में बने हैं जिससे षटकोणीय व्यूह मिलता है | इनमें से एक आबंध द्विआबंध होता है | इस प्रकार कार्बन की संयोजकता संतुष्ट हो जाती है | ग्रेफाइट विद्युत का एक बहुत ही अच्छा सुचालक है जबकि अन्य अधातु सुचालक नहीं होते हैं
ग्रेफाईट -→ मुलायम व भंगुर प्रकृति→ परतदार संरचना (षट्कोणीय)→ विद्युत का सबसे अच्छा सुचालक→ प्रत्येक कॉर्बन तीन अन्य कॉर्बन परमाणुओं से एक ही तल में जुड़ा है।उपयोग→ सीसा व पेन्सिल बनाने में→ इलेक्ट्रोड बनाने में
फुलेरिन :- फुलेरिन कार्बन अपररूप का अन्य वर्ग है। सबसे पहले C-60 की पहचान की गई जिसमें कार्बन के परमाणु फुटबॉल के रूप में व्यवस्थित होते हैं। चूँकि यह अमेरिकी आर्किटेक्ट बकमिन्स्टर फुलर द्वारा डिशाइन किए गए जियोडेसिक गुंबद के समान लगते हैं, इसीलिए इस अणु को फुलेरिन नाम दिया गया।फुलरीन -→ अमेरिकी वैज्ञानिक बकमिन्सटर फुलरीन ने बताया ।→ सबसे पहले C-60 बना→ इसकी सरंचना बॉल जैसी होती है, इसीलिए इसे बकीबॉल भी कहते है।

कार्बन में बंध :-
कार्बन के सबसे बाहरी कोश में चार इलेक्ट्रान होते हैं तथा उत्कृष्ट गैस विन्यास को प्राप्त करने के लिए इसको चार इलेक्ट्रान प्राप्त करने या खोने की आवश्यकता होती है। यदि इन्हें इलेक्ट्रॉन्स को प्राप्त करना या खोना हो तोये चार इलेक्ट्रान प्राप्त कर C4- ऋणायन बना सकता है। लेकिन छः प्रोटान वाले नाभिक के लिए दस इलेक्ट्रान, अर्थात चार अतिरिक्त इलेक्ट्रान धारण करना मुश्किल हो सकता है।ये चार इलेक्ट्रान खो कर C4+ धनायन बना सकता है। लेकिन चार इलेक्ट्रानों को खो कर छः प्रोटान वाले नाभिक में केवल दो इलेक्ट्रानों का कार्बन धनायन बनाने के लिए अत्यधिक ऊर्जा की आवश्यकता होगी।
रासायनिक बंध :- किसी यौगिक में तत्वों के परमाणुओं के बीच लगने वाले बल से बनने वाले आबंध को रासायनिक आबंध कहते हैं | रासायनिक आबंध दो प्रकार के होते हैं |आयनिक आबंध :- वह आबंध जो इलेक्ट्रानों के पूर्णत: स्थानान्तरण के द्वारा होता है आयनिक आबंध कहलाता है |
उदाहरण: Na+ + Cl- ——-> NaClसह्संयोजी आबंध :- वह आबंध जो दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रोनों के एक युग्म की साझेदारी से आबंध बनता है सह्संयोजी आबंध कहलाता है | एक ही प्रकार या विभिन्न प्रकार के परमाणुओं के इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी से बने आबंध को सह-संयोजी आबंध कहते हैं।आयनिक यौगिक व सहसंयोजी यौगिक में अन्तर

सहसंयोजी यौगिक के भौतिक गुण →• गलनांक एवं क्वथनांक → कम निम्न• इनके मध्य अंतराण्विक बल दुर्बल (कमजोर) होता है अर्थात् आसानी से टूट जाता है।• ये विद्युत के कुचालक होते हैं क्योंकि इन यौगिकों के आबंध में किसी प्रकार के आयन का निर्माण नहीं होता हैं। ये इलेक्ट्रॉनों की साझेदारी से बनते हैं।
कार्बन के गुणधर्म →(i) चतु: संयोजकता →कॉर्बन की संयोजकता 4 होती है।जिसके कारण कार्बन चार अन्य कार्बन परमाणु, एक संयोजी परमाणु (H,Cl) ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और सल्फर के साथ आबंध बना सकता हैं।
(ii) श्रंखलन →कॉर्बन व कॉर्बन के मध्य या अन्य तत्त्वों के साथ एक श्रंखला के रूप में जुड़ा होता है अर्थात् कार्बन कार्बन परमाणुओं के बीच सहसंयोजी आबंध बनाकर लम्बी श्रृंखला, शाखित, श्रृंखला और वलय संरचना वाले भौतिकों का निर्माण करता है। कार्बन के परमाणु एक-दूसरे से एकल, द्वि या त्रि आबंध द्वारा जुड़े हो सकते हैं।(a) एकल बन्ध (-)(b) द्विबन्ध (=)(c) त्रिबन्ध (≡)
सहसंयोजी आबंध के प्रकार सह्संयोजी आबंध के तीन प्रकार होते हैं एकल सहसंयोजी आबंध :- दो परमाणुओं के बीच एक एक इलेक्ट्रोन के युग्म की साझेदारी से बनने वाले संयोजी आबंध को एकल आबंध कहते हैं | यह दो अणुओं के बीच एक रेखा (-) द्वारा इसे प्रदर्शित किया जाता है | उदाहरण: H – H, Cl – Cl, Br – Br

हाइड्रोजन परमाणुओं के बीच एकल आबंध द्वि सह्संयोजी आबंध :- दो परमाणुओं के बीच दो दो इलेक्ट्रोनों की साझेदारी से बनने वाले सहसंयोजी आबंध को द्वि आबंध कहते हैं | इसे दो परमाणुओं के बीच दो छोटी रेखाओं (=) से प्रदर्शित किया जाता है O = O [ऑक्सीजन से ऑक्सीजन के बीच द्वि-आबंध]

ऑक्सीजन परमाणुओं के बीच द्वि-आबंध(c) त्रि सह्संयोजी आबंध :- दो परमाणुओं के बीच तीन-तीन इलेक्ट्रोनों की साझेदारी से बनने वाले आबंध को त्रि-आबंध कहते है | यह दो परमाणुओं के बीच तीन छोटी रेखाओं (≡) द्वारा दर्शाया जाता है N ≡ N [नाइट्रोजन से नाइट्रोजन]

सहसंयोजी आबंध बनाने वाले यौगिकों के गुण :- सह्संयोजी आबंध बनाने वाले यौगिकों के अणुओं के बीच प्रबल आबंध होता है इनमें अंतराणुक बल कम होता है |इनका गलनांक एवं क्वथनांक भी कम होता है |ये यौगिक सामान्यत: विद्युत के कुचालक होते हैं |
कार्बन के अन्य गुण :- श्रृंखलन :- कार्बन में कार्बन के ही अन्य परमाणुओं के साथ आबंध बनाने की अद्वितीय क्षमता होती है जिससे बड़ी संख्या मे अणु बनते हैं। इस गुण को श्रृंखलन कहते हैं।सह्संयोजी आबंध की प्रकृति कार्बन को बड़ी संख्या में यौगिक बनाने का गुण देता है
चतुर्संयोजकता :- कार्बन की संयोजकता चार होती है, अतः इसमें कार्बन के चार अन्य परमाणुओं अथवा कुछ अन्य एक संयोजक तत्वों के परमाणुओं के साथ आबंधन की क्षमता होती है। कार्बन के इस गुण को कार्बन की चतुसंयोजकता कहते है |
कार्बन बंध के कुछ गुण :- अधिकतर अन्य तत्वों के साथ कार्बन द्वारा बनाए गए आबंध अत्यंत प्रबल होते हैं जिनके फलस्वरूप ये यौगिक अतिशय रूप में स्थायी होते हैं।कार्बन द्वारा प्रबल आबंधों के निर्माण का एक कारण इसका छोटा आकार भी है।इसके कारण इलेक्ट्रान के सहभागी युग्मों को नाभिक मज़बूती से पकड़े रहता है।बड़े परमाणुओं वाले तत्वों से बने आबंध तुलना में अत्यंत दुर्बल होते हैं।
कार्बन द्वारा बने यौगिक और अन्य दुसरे बड़े परमाणुओं द्वारा बने यौगिकों में अंतर :- कार्बन द्वारा प्रबल आबंधों के निर्माण का एक कारण इसका छोटा आकार भी है। इसके कारण इलेक्ट्रान के सहभागी युग्मों को नाभिक मज़बूती से पकड़े रहता है। बड़े परमाणुओं वाले तत्वों से बने आबंध तुलना में अत्यंत दुर्बल होते हैं।
कार्बन द्वारा बड़ी संख्या में यौगिक निर्मित होते हैं | :-
कार्बन के निम्नलिखित गुणों के कारण प्रकृति में बड़ी संख्या में कार्बनिक यौगिक बनते हैं |
सहसंयोजी आबंध का बनाना :- सहसंयोजी आबंध बनाने के गुण के कारण कार्बन बड़ी संख्या में यौगिक का निर्माण करता है |
श्रृंखलन :- कार्बन-कार्बन बंध बहुत ही मजबूत और स्थायी होता है | इसके कारण कार्बन से ही कार्बन में एक दुसरे से जुड़कर बड़ी संख्या में यौगिक देता है |चतुसंयोजकता :- चूँकि कार्बन की संयोजकता चार होती है, अतः इसमें कार्बन के चार अन्य परमाणुओं अथवा कुछ अन्य एक संयोजक तत्वों के परमाणुओं के साथ आबंधन की क्षमता होती है। जिसके कारण बड़ी संख्या में यौगिक बनाता है |