नवरात्रि 2025 का पहला दिन: माँ शैलपुत्री की पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त

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नवरात्रि के पहले दिन की पूरी जानकारी: माँ शैलपुत्री की कथा, मंत्र और आरती


नवरात्रि — पहला दिन: माँ शैलपुत्री का महत्त्व एवं पूजा-विधि

प्रस्तावना

भारत में त्यौहारों का एक अद्भुत साम्राज्य है, जहाँ हर उत्सव एक कहानी कहता है — भक्ति, आध्यात्म, संस्कृति और आत्मविश्लेषण की। इनमें से नवरात्रि विशेष स्थान रखती है। जब गाँव-शहर, खेत-अपने घर, मंदिर और प्रवासी – सब मिलकर आरती करते हैं, गीत गाते हैं और मन से देवी की उपासना करते हैं — यह समय है आत्म की खोज और शक्ति की अनुभूति का।

नवरात्रि का पहला दिन, जिसे “प्रथम दिन” या “प्रथम प्रतिपदा” कहा जाता है, माँ शैलपुत्री को समर्पित है। इस लेख में हम जानेंगे कि माँ शैलपुत्री कौन हैं, उनका स्वरूप, उनकी पूजा विधियां, मंत्र, मूल कथा, Ghatasthapana की महत्ता, रंग, व्रत तरीके, भोग, और इस दिन क्यों विशेष महत्व है।


माँ शैलपुत्री: परिचय और स्वरूप

  • नाम और अर्थ
    शब्द “शैलपुत्री” दो भागों से बना है – शैल का अर्थ है पर्वत या पहाड़, पुत्री का अर्थ है पुत्री। इसलिए शैलपुत्री का अर्थ हुआ “पर्वत की पुत्री”।
    वो हिमालय की पुत्री हैं — हिमवत (पर्वतदेव) की पुत्री।
  • पुनर्जन्म कथा (Sati से Shailaputri तक)
    प्राचीन कथाओं के अनुसार, माँ शैलपुत्री पहले देवी सती थीं, जो राजा दक्ष की पुत्री थीं। राजा दक्ष ने विवाह के बाद सती के पति शिव को आमंत्रित नहीं किया जब रक्षा यज्ञ हो रहा था। सती यज्ञ में गईं, अपमान झेला, और अंततः अग्नि में स्वयं को त्याग दिया।
    उसके बाद, देवी सती का पुनर्जन्म हुआ हिमालय की पुत्री के रूप में — यहीं से नाम शैलपुत्री पड़ा। वह भगवान शिव की अर्द्धांगिनी पार्वती भी कहलाती हैं।
  • दर्शन / स्वरूप
    माँ शैलपुत्री के स्वरूप में देवी पार्वती दिखती हैं जिनके हाथों में एक त्रिशूल (trident) और एक कमल का फूल (lotus) है। उनका वाहन साँड़ (Nandi) है। माथे पर चंद्रमा का अर्धचंद्र (crescent moon) ह
    यह रूप हमें सिखाता है संयम, स्थिरता और शीलता — वे प्रथम शक्ति हैं जिनसे नौ रूपों की यात्रा शुरू होती है।

नवरात्रि क्यों मनाई जाती है?

  • नवरात्रि का मूल उद्देश्य है देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना करना और अंधकार से उजाले की ओर बढ़ना। यह बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
  • यह समय है आत्म अनुशासन, तप, प्रार्थना, स्नान, स्वच्छता, मन और आत्मा की शुद्धि का। 9 दिनों में भक्त व्रत रखते हैं (भर-व्रत या आंशिक व्रत), पूजा करते हैं, मन को एकाग्र करते हैं।

पहला दिन (Day 1): विशेषताएँ

तिथि एवं मुहूर्त (Timing & Muhurat)

  • नवरात्रि का प्रथम दिन प्रथम प्रतिपदा (Pratipada Tithi of Shukla Paksha, Ashwin month) है।
  • घटस्थापना मुहूर्त या कलश स्थापना का समय महत्वपूर्ण होता है। उदाहरण स्वरूप, Navratri 2025 में यह मुहूर्त सुबह का है (लगभग 6:11 AM से 7:52 AM) और एक अन्य शुभ मुहूर्त ‘Abhijit Muhurat’ है दोपहर के समय में।

दिन का रंग

  • पहले दिन का रंग सफेद (White) है, जो शुद्धता, अहिंसा, शांतिपूर्णता और भक्ति का प्रतीक है। भक्त सफेद वस्त्र पहनते हैं ताकि माँ शैलपुत्री की वाणी और ऊर्जा से जुड़ सकें।

पूजा-विधि (Puja Vidhi) एवं घटस्थापना (Ghatasthapana / Kalash Sthapana)

सामग्री (Samagri)

पूजा करने के लिए आवश्यक सामग्री में निम्न शामिल हो सकते हैं:

  • कलश (घट) — सामान्यत: धातु या मिट्टी का, ऊपर नारियल और आम के पत्ते लगेंगे।
  • मिट्टी, Navadhaanya या Saptadhanya (जो सात या नौ प्रकार के दाने होते हैं)
  • गंगाजल, अक्षत (कुमकुम मिला हुआ चावल), सुपारी (betel nut), सूखे मेवे या ताजे फल, फूल (विशेष रूप से सफेद), दीपक, अगरबत्ती, घी इत्यादि

विधि (Steps)

  1. सुबह स्नान करके शुद्ध व शांत अवस्था में पूजा आरंभ करें। घर, विशेषकर पूजा स्थान, पहले से साफ किया हो।
  2. शैलपुत्री की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। कलश स्थापित करें — जिसमें गंगाजल भरा हुआ हो, नारियल ऊपर हो, और कलश के ऊपर आम के पत्ते लगाएँ। उसके चारों ओर अक्षत और फूलों से सजावट करें।
  3. मिट्टी में या पूजा पात्र में नवधान्य बोएँ या रखें और उसमें पानी दें — यह प्रकृति और समृद्धि का प्रतीक है।
  4. दीप और अगरबत्ती जलाएँ। घी के दीप से अग्नि की उपासना करें।
  5. पूजा के दौरान मंत्रों का उच्चारण करें — विशेष रूप से माँ शैलपुत्री के मंत्र और स्तोत्र।
  6. भोग अर्पित करें — सफेद फूल, दूध या घी से बने मीठे व्यंजन, ताजे फल आदि शामिल हों।
  7. आरती करें और पूजन के बाद विश्रामपूर्वक देवी की स्तुति करें। ध्यान रखें कि यह पूजा मन से और श्रद्धा से हो।

मंत्र और स्तुति

  • एक प्रसिद्ध मंत्र है:
    ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥ )
  • दूसरा मंत्र है:
    वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्ध कृतशेखराम् वृषारूढाम् शूलधराम् शैलपुत्रीम् यशस्विनीम्॥
  • कुछ लोग Durga Saptashati या Durga Chalisa का पाठ भी करते हैं, तथा देवी स्तोत्रों से मन को शांति मिलती है।

व्रत / उपवास (Fasting)

  • कई भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, जो पूरी तरह से फ़ूड intake कम करने या सिर्फ फल-जल से भी हो सकता है।
  • व्रत के दौरान शाकाहारी भोजन, ताजे फल, दूध, हल्के पकवान जैसे कि कर्बस या खिचड़ी आदि का चुनाव किया जाता है।
  • व्रत खोलने के बाद हल्का भोजन करें, मीठे या सादा अनाज का उपयोग हो सकता है — पर भोजन में संतुलन हो।

भोग / प्रसाद (Bhog / Prasad)

  • सफेद फूल, मिश्री, घी, दूध, ताजे फल, शहद — ये कुछ प्रसाद के हिस्से हो सकते हैं।
  • स्थानीय व्यंजन एवं पर्वतीय क्षेत्र के अनुसार विशेष मिठाइयाँ या पकवान हो सकते हैं।
  • प्रसाद बाँटने से भक्तों में प्रेम और सामूहिक भक्ति की भावना बढ़ती है।

विशेष बातें और प्रतीक

  • शांति: सफेद रंग और शांतिपूर्ण वातावरण आत्मा में शांति और चेतना लाते हैं।
  • स्वच्छता: नवरात्रि आरंभ से ही स्वच्छता पर जोर है — शरीर भी, मन भी, घर भी। यह बाह्य स्वच्छता आंतरिक स्वच्छता का प्रतीक है।
  • प्रकृति का सम्मान: उपयोग किए गए फूल, निवार्य सामग्री और उपवास आदि से प्रकृति के प्रति सहानुभूति तथा संतुलन की श्रृद्धा होती है।
  • ध्यान और आत्म-निरिक्षण: पूजा और व्रत के समय मन को एकचित करने, विचारों को संयमित करने और आत्मा की शुद्धि पर काम करने का अवसर मिलता है।

नवरात्रि के पहले दिन के संदेश / धर्मार्थ बिंदु

  • यह दिन हमें सिखाता है कि महान शुरुआत की शक्ति कितनी होती है — जैसे शैलपुत्री के रूप में देवी की पहली ऊर्जा हमारे जीवन की नींव तय करती है।
  • शुरुआती दिन की भक्ति, श्रद्धा, नियमितता जीवन में स्थिरता लाती है।
  • हमें अवसर मिलता है अपने जीवन में बढावा लाने का — नए संकल्प लेने का, विशुद्ध इरादे करने का।

कैसे मनाएँ इस दिन — कुछ सुझाव

  1. सुबह जल्दी उठें। जागरण की शुरुआत आध्यात्मिक होती है।
  2. पूजा स्थान की सजावट — फूल, दीप, रंगोली। यहाँ तक कि घर का मुख्य द्वार साफ हो।
  3. परिवार या मित्रों के साथ पूजा करें — सामूहिक भक्ति से ऊर्जा बढ़ती है।
  4. संकेतों और रंगों का उपयोग करें — सफेद रंग पहनें, सफेद फूल, प्रसाद में सफेद स्वाद।
  5. ध्यान और योग — पूजा के बाद थोड़ी देर ध्यान करना बहुत शुभ है। मन को शांत करें।
  6. दान और सेवा — जिनके पास कम है, उनकी मदद करें। गरीबों में प्रसाद बाँटें, किसी मंदिर या आश्रम में सेवा करें।

नवरात्रि की प्रासंगिकता आज

  • आधुनिक जीवन की भाग-दौड़ में तनाव, निराशा और एकरसता बढ़ गई है। नवरात्रि, विशेषकर पहला दिन, हमें आत्मिक सुदृढ़ता, सकारात्मक सोच, संयमित जीवन की याद दिलाता है।
  • यह पर्व हमें पुनर्स्थापना का अवसर देता है — अपनी आदतों, अपने संबंधों, अपने कर्मों की समीक्षा करने का।
  • माता की उपासना, व्रत, मंत्र जाप सभी मिलकर खंडा-बंधन टूटता है — जिससे जीवन में नई उमंग, शक्ति और प्रेरणा आती है।

निचोड़ (Conclusion)

पहला दिन नवरात्रि में सिर्फ पूजा-विधि का आरंभ ही नहीं है — यह एक दृष्टिकोण है। शैलपुत्री की पूजा से हमें संभावना मिलती है कि हम जीवन के हर क्षेत्र में शुरूआत करते समय शुद्धता, विश्वास, समर्पण और धैर्य रखें।

जब हम माँ शैलपुत्री की भक्ति करते हैं, तो हम यह कह रहे हैं — मैं अपनी आत्मा को शुद्ध करूँगा, मैं जीवन में नए सुर लगाएगा, मैं अच्छाई की ओर कदम बढ़ाऊँगा।

आप सभी को नवरात्रि के प्रथम दिन की हार्दिक शुभकामनाएँ। माँ शैलपुत्री की कृपा आप पर बनी रहे — आपके जीवन में शांति, समृद्धि, स्वास्थ और सफलता आए।

जय माता दी! 🚩


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