class 12 Physics important question 2025

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चालक की धारिता एक महत्वपूर्ण अवधारणा है जो विद्युत क्षेत्र में उपयोग की जाती है। यह चालक की विद्युत धारा को प्रवाहित करने की क्षमता को मापती है।

चालक की धारिता को परिभाषित करने के लिए, हम निम्नलिखित सूत्र का उपयोग करते हैं:

धारिता (C) = धारा (I) / विभव अंतर (V)

या

C = I/V

जहाँ:

C = धारिता
I = धारा
V = विभव अंतर

चालक की धारिता के प्रकार:

  1. प्रतिरोधी धारिता: यह चालक की विद्युत प्रतिरोध को मापती है।
  2. संधारिता: यह चालक की विद्युत संधारण क्षमता को मापती है।
  3. विद्युत धारिता: यह चालक की विद्युत धारा को प्रवाहित करने की क्षमता को मापती है।

चालक की धारिता के कारक:

  1. चालक की सामग्री
  2. चालक की आकृति
  3. चालक की दूरी
  4. तापमान

चालक की धारिता के महत्व:

  1. विद्युत उपकरणों की डिज़ाइन में
  2. विद्युत शक्ति के प्रवाह में
  3. विद्युत सुरक्षा में
  4. विद्युत ऊर्जा के संरक्षण में

क्या आपको चालक की धारिता के बारे में और जानकारी चाहिए या कोई विशिष्ट प्रश्न है?

संधारित्र एक ऐसा उपकरण है जो विद्युत आवेश को संग्रहीत करने में मदद करता है। यह दो संचालक प्लेटों से बना होता है, जो एक डाईइलेक्ट्रिक पदार्थ द्वारा अलग किए जाते हैं। जब संधारित्र में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो प्लेटों पर आवेश जमा होता है, जिससे विद्युत क्षेत्र उत्पन्न होता है ¹।

संधारित्र की क्षमता को धारिता कहा जाता है, जो कूलॉम पर वोल्ट के रूप में मापी जाती है। यह एक महत्वपूर्ण माप है जो संधारित्र की आवेश संग्रहण क्षमता को दर्शाती है ¹।

संधारित्र के गुण:

  • धारिता: संधारित्र की आवेश संग्रहण क्षमता को मापती है।
  • विद्युत क्षेत्र: संधारित्र में विद्युत क्षेत्र उत्पन्न होता है।
  • आवेश संग्रहण: संधारित्र आवेश को संग्रहीत करने में मदद करता है ¹।

संधारित्र के उपयोग:

संधारित्रों का संयोजन दो या अधिक संधारित्रों को जोड़कर किया जाता है, जिससे उनकी धारिता में परिवर्तन होता है। संधारित्रों का संयोजन दो प्रकार से किया जा सकता है:

1. श्रेणी संयोजन (Series Combination)

संधारित्रों को श्रेणी में जोड़ने पर, उनकी धारिता कम हो जाती है।

सूत्र:

1/C = 1/C1 + 1/C2 + … + 1/Cn

जहाँ:

C = संयुक्त धारिता
C1, C2, …, Cn = व्यकिगत संधारित्रों की धारिता

2. समांतर संयोजन (Parallel Combination)

संधारित्रों को समांतर में जोड़ने पर, उनकी धारिता बढ़ जाती है।

सूत्र:

C = C1 + C2 + … + Cn

जहाँ:

C = संयुक्त धारिता
C1, C2, …, Cn = व्यकिगत संधारित्रों की धारिता

संधारित्रों के संयोजन के लाभ

  • धारिता को बढ़ाने या घटाने के लिए
  • विद्युत धारा को नियंत्रित करने के लिए
  • ऊर्जा संग्रहण में सुधार करने के लिए

संधारित्रों के संयोजन के अनुप्रयोग

  • इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में
  • ऊर्जा संग्रहण प्रणालियों में
  • विद्युत फिल्टरों में
  • संचारण प्रणालियों में

क्या आपको संधारित्रों के संयोजन के बारे में और जानकारी चाहिए या कोई विशिष्ट प्रश्न है?

विद्युत धारा एक मूलभूत अवधारणा है जो विद्युत ऊर्जा के अध्ययन में महत्वपूर्ण है। यहाँ कुछ मुख्य बिंदु हैं:

विद्युत धारा की परिभाषा

विद्युत धारा इलेक्ट्रॉनों की गति है, जो एक संचालक में प्रवाहित होती है।

विद्युत धारा की इकाई

विद्युत धारा की इकाई एम्पियर (ए) है।

विद्युत धारा के प्रकार

  1. दिष्ट धारा (DC): एक ही दिशा में प्रवाहित होने वाली धारा।
  2. परिवर्ती धारा (AC): दिशा बदलने वाली धारा।

विद्युत धारा के गुण

  1. धारा की तीव्रता
  2. धारा की दिशा
  3. धारा की आवृत्ति

विद्युत धारा के अनुप्रयोग

  1. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में
  2. विद्युत ऊर्जा संचारण में
  3. उद्योगों में
  4. घरेलू उपयोग में

विद्युत धारा के नियम

  1. ओम का नियम: विद्युत धारा की तीव्रता और प्रतिरोध के बीच संबंध।
  2. किरचॉफ के नियम: विद्युत धारा की तीव्रता और विद्युत विभव के बीच संबंध।

क्या आपको विद्युत धारा के बारे में और जानकारी चाहिए या कोई विशिष्ट प्रश्न है?

ओम का नियम विद्युत धारा और प्रतिरोध के बीच संबंध को दर्शाता है। यह नियम जर्मन वैज्ञानिक जॉर्ज साइमन ओम द्वारा 1827 में प्रस्तुत किया गया था।

ओम का नियम:

“I = V/R”

जहाँ:

I = विद्युत धारा (एम्पियर में)
V = विद्युत विभव (वोल्ट में)
R = प्रतिरोध (ओम में)

ओम का नियम कहता है कि विद्युत धारा की तीव्रता विद्युत विभव और प्रतिरोध के अनुपात में होती है।

ओम का नियम के अनुप्रयोग:

  1. विद्युत परिपथों की डिज़ाइन में
  2. विद्युत ऊर्जा संचारण में
  3. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में
  4. विद्युत मोटरों में
  5. विद्युत जनरेटरों में

ओम का नियम के महत्व:

  1. विद्युत धारा की तीव्रता को नियंत्रित करने में
  2. विद्युत ऊर्जा की बचत में
  3. विद्युत उपकरणों की सुरक्षा में
  4. विद्युत परिपथों की दक्षता में सुधार करने में

ओम का नियम के सीमाएं:

  1. यह नियम केवल लीनियर प्रतिरोधकों पर लागू होता है।
  2. यह नियम उच्च आवृत्ति पर लागू नहीं होता है।
  3. यह नियम तापमान परिवर्तन को नहीं दर्शाता है।

विशिष्ट प्रतिरोध या प्रतिरोधकता एक पदार्थ की विद्युत प्रतिरोध क्षमता को मापती है। यह एक महत्वपूर्ण गुण है जो पदार्थ की विद्युत संचालन क्षमता को दर्शाता है।

विशिष्ट प्रतिरोध की परिभाषा:

विशिष्ट प्रतिरोध एक पदार्थ के एक इकाई लंबाई और एक इकाई क्षेत्रफल के लिए प्रतिरोध को मापती है।

विशिष्ट प्रतिरोध की इकाई:

ओम-मीटर (Ωm) या ओम-सेंटीमीटर (Ωcm)

विशिष्ट प्रतिरोध के प्रकार:

  1. प्रतिरोधकता (ρ): पदार्थ की विद्युत प्रतिरोध क्षमता
  2. संचालनता (σ): पदार्थ की विद्युत संचालन क्षमता

विशिष्ट प्रतिरोध के कारक:

  1. पदार्थ की संरचना
  2. पदार्थ की तापमान
  3. पदार्थ की शुद्धता
  4. पदार्थ की घनत्व

विशिष्ट प्रतिरोध के अनुप्रयोग:

  1. विद्युत उपकरणों में
  2. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में
  3. ऊर्जा संचारण में
  4. विद्युत मोटरों में
  5. विद्युत जनरेटरों में

विशिष्ट प्रतिरोध के महत्व:

  1. विद्युत ऊर्जा की बचत में
  2. विद्युत उपकरणों की सुरक्षा में
  3. विद्युत परिपथों की दक्षता में सुधार करने में
  4. विद्युत ऊर्जा के संचारण में सुधार करने में

कुछ सामान्य पदार्थों की विशिष्ट प्रतिरोधकता:

  • तांबा : 1.68 × 10^(-8) Ωm
  • एल्युमिनियम : 2.65 × 10^(-8) Ωm
  • स्टील : 10 × 10^(-8) Ωm
  • कांच : 10^12 Ωm

क्या आपको विशिष्ट प्रतिरोध के बारे में और जानकारी चाहिए या कोई विशिष्ट प्रश्न है?

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