बल की परिभाषा क्या होता है

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दाब की परिभाषाक्या होता है

बल तथा दाब

बल :- किसी वस्तु पर लगने वाले धक्के (अभिकर्षण) या खिंचाव (अपकर्षण) को बल कहते हैं।

जैसे :- ठोकर मारना, हिट करना, धक्का देना, खींचना आदि।

बल के नियम-

  • किसी वस्तु पर एक ही दिशा में लगाए गए सभी बल आपस में जुड़ कर एक शक्तिशाली बल का निर्माण करते हैं।
  • विपरीत दिशा में लगाया गया बल उस वस्तु पर लग रहे बल को कम कर देता है। इसमें कुल बल दोनों बलों के अंतर के बराबर होगा।
  • बल्कि प्रबलता इसके परिणाम से मापी जाती है।
  • बल लगने पर किसी भी वस्तु की आकृति में बदलाव आ जाता है।
  • बल लगने पर किसी भी वस्तु की गति में परिवर्तन आता है।

बल के प्रकार-

बल मुख्यतः दो प्रकार का होता है।

  • संपर्क बल
  • असंपर्क बल

अभिकर्षण :– किसी वस्तु को को गति में लाने के लिए उसे खींचना पड़ता हैं।

जैसे :- कुऍं से पानी की बाल्टी को खींचना।

अपकर्षण :- किसी वस्तु को को गति में लाने के लिए उसे धक्का देना पड़ता हैं।

जैसे :- कार को धक्का लगाना।

  • बल अन्योन्यक्रिया के कारण लगते हैं।
  • बल लगने के लिए कम से कम दो वस्तुओं में अन्योन्यक्रिया होना आवश्यक है।
  • कार को गति देने के लिए आदमी को इसे धक्का लगाना होगा।
  • किसी वस्तु पर एक ही दिशा में लगाए गए बल जुड़ जाते है।

जैसे – बॉक्स को धक्का देना।

  • किसी वस्तु पर दो बल विपरीत दिशा में कार्य करते हैं तो इस पर लगने वाला बल बराबर होता है।

उदाहरण – रस्से को दोनों टीमें समान बल से खिंचती है तो रस्सा खिसकता नहीं है।

  • बल वस्तु की गति की अवस्था में परिवर्तन कर सकता है।
  • क्रिकेट में बल्लेबाज बल्ले से गेंद पर बल लगाकर शॉर्ट खेलतें हैं।

उदाहरण – पेनल्टी किक लेते समय खिलाड़ी गेंद पर बल लगाता है।

गति की अवस्था :- किसी वस्तु की अवस्था का वर्णन इसकी चाल तथा गति की दिशा से किया जा सकता है।

  • कोई वस्तु विराम अवस्था में अथवा गतिशील में हो सकती है, दोनों ही इसकी गति की अवस्थाएँ हैं।
  • बल लगने पर सदैव ही किसी वस्तु की गति की अवस्था में परिवर्तन होगा।
  • अनेक बार बल लगाने पर भी वस्तु की गति की अवस्था में परिवर्तन नही होता।
  • बल किसी वस्तु की आकृति में परिवर्तन कर सकता है।
  • किसी वस्तु को विराम अवस्था से गति में ला सकता है।
  • गतिशील वस्तु चाल में परिवर्तन कर सकता है।
  • गतिशील वस्तु की दिशा में परिवर्तन कर सकता है।
  • किसी वस्तु की आकृति में परिवर्तन ला सकता है।

सम्पर्क बल :- संपर्क बल दो वस्तुओं के परस्पर आपस में मिलने से लगता है। यह बल मुख्यतः दो प्रकार से हम विभाजित कर सकते हैं।

जैसे – पुस्तक को उठाना, छड़ी को उठाना, पानी की बाल्टी उठाना आदि।

  • पेशीय बल :- हमारी मांसपेशियों के क्रियास्वरूप लगने वाले बल को पेशीय बल कहते हैं।

जैसे – श्वसन प्रक्रिया में, वायु अंदर लेते तथा बाहर निकालते समय, फेफड़े फैलते और सिकुड़ते हैं ।

  • घर्षण :- वस्तुओं की गति की अवस्था में परिवर्तन घर्षण बल के कारण होता है।
  • घर्षण बल सभी गतिशील वस्तुओं पर लगता है।
  • इसकी दिशा सदैव गति की दिशा के विपरीत होती है।
  • घर्षण बल दो सतहों के बीच सम्पर्क के कारण उत्पन्न होता है।

जैसे- साइकिल चलाते समय पेडल चलाना पड़ता हैं।

असम्पर्क :- दो वस्तुओं के बीच आकर्षण (खींचना) अथवा प्रतिकर्षण (धक्का देना) के रूप ने देखा जा सकता है। असंपर्क बल के कुछ प्रकार नीचे दिए गए हैं।

चुंबकीय बल :- दो चुंबकों को समीप लाने पर गति करने लगता है। चुंबक के द्वारा लगाया जाने वाला बल चुंबकीय बल कहलाता है। यह बल चुंबक के ध्रुवों की वजह से लगता है। अगर चुंबक की एक जैसे ध्रुव आमने सामने आते हैं तो वे एक – दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं। अगर चुंबक के विपरीत ध्रुव एक दूसरे के सामने आते हैं तो वे एक दूसरे को आकर्षित करते हैं।

चुंबक द्वारा किसी लोहे के टूकड़े पर लगाया गया बल असम्पर्क बल है।

स्थिरवैधुत बल :- एक आवेशित वस्तु द्वारा किसी दूसरी आवेशित अथवा अनावेशित वस्तु पर लगाया गया बल स्थिरवैधुत बल कहलाता है। उदाहरण के लिए जब हम अपने सूखे बालों से पैन को खींचते हैं तो वह पेन का टुकड़ा आवेशित हो जाता है और वह छोटे – छोटे कागज के टुकड़ों को अपनी तरफ आकर्षित करने लगता है।

  • कुली अपने सिर के ऊपर गोल कपड़ा लपेट कर रखते है जिससे उनके शरीर से बोझ के सम्पर्क क्षेत्रफल को बढ़ा देते है। अतः उनके शरीर पर लगने वाला दाब कम हो जाता है।
  • द्रव्य बर्तन की दीवारों पर दाब डालते है।

जैसे – पानी की पाइप से लीक होने पर फुव्वारों का निकलना।

  • गैसों जिस पर बर्तन में रखी जाती हैं उसकी दीवारों पर दाब डालती है।

जैसे – साइकिल की ट्यूब में गैस भरी जाती हैं।

वायुमंडलीय दाब :- वायु द्वारा लगाए गए दाब को वायुमंडलीय दाब कहते हैं। वायुमंडलीय दबाव पृथ्वी के वायुमंडल में किसी सतह की एक इकाई पर उससे ऊपर की हवा के वजन द्वारा लगाया गया बल है। अधिकांश परिस्थितियों में वायुमंडलीय दबाव का लगभग सही अनुमान मापन बिंदु पर उसके ऊपर वाली हवा के वजन द्वारा लगाया जाता है। वायुमंडलीय वायु पृथ्वी के तल से कई किलोमीटर ऊपर तक फैली हुई हैं।

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