UP BOARD CLASS 10TH SCIENCE IMPORTANT NOTES 2024

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Chapter 8 आनुवंशिकता CLASS 10 SCIENCE IMPORTANT NOTES

SCIENCE IMPORTANT QUESTION CLASS 10TH

Chapter 8 आनुवंशिकता

आनुवांशिकी – जीव विज्ञान की वह शाखा जिसमें सजीवों में लक्षणों की आनुवंशिकता एवं विभिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है, आनुवंशिकी या जेनेटिक्स कहलाता है। जेनेटिक्स शब्द का प्रथम प्रयोग बेटसन ने किया।
“जीव विज्ञान की वह शाखा जिसके अंतर्गत आनुवांशिक लक्षणों के संतान में पहुंचने की रीतियों एवं आनुवंशिक समानता एवं विभिन्नताओं का अध्ययन करते हैं आनुवंशिक विज्ञान या आनुवंशिकी कहलाती है।”
आनुवंशिकता
जीवों में प्रजनन के द्वारा संतान उत्पन्न करने की अद्भुत क्षमता होती है। संतानों में कुछ लक्षण माता-पिता से पीढ़ी-दर-पीढ़ी पहुंचते रहते हैं, जिन्हें आनुवंशिक लक्षण कहते हैं। वंशागत लक्षणों (Inherited Characters) का अध्ययन आनुवंशिकता (Heredity) कहलाता है।

आनुवांशिकी लक्षण – वह लक्षण जिनका सजीवों में लैंगिक जनन द्वारा पीढी दर पीढी संचरण होता है।
वंशागति (हेरीडिटी) – आनुवंशिक लक्षणो का जनक पीढी से संतति पीढी में संचरण वंशागति (हेरीडिटी) कहलाता हैं। हेरीडिटी शब्द का प्रयोग स्पेन्सर ने किया।
लैंगिक जनन में जीन विनिमय होने के कारण एक ही जाति के सजीवों के मध्य परस्पर विभिन्नताएँ पायी जाती हैं।
विभिन्नता
एक स्पीशीज के विभिन्न जीवों में शारीरिक अभिकल्प और डी ० एन० ए० में अन्तर विभिन्नता कहलाता है। ऐसी विभिन्नताएँ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में वंशागत होती हैं। इसे आनुवंशिक विभिन्नता भी कहते हैं। ऐसी विभिन्नताओं में कुछ जन्म के समय से प्रकट हो जाती है। जैसे आँखों एवं बालों का रंग/शारीरिक गठन, लम्बाई में परिवर्तन आदि जन्म के बाद की विभिन्नताएँ हैं।

विभिन्नता के दो प्रकार
· शारीरिक कोशिका विभिन्नता
· जनन कोशिका विभिन्नता
शारीरिक कोशिका विभिन्नता :-
· यह शारीरिकी कोशिका में आती है।
· ये अगली पीढ़ी में स्थानान्तरित नहीं होते।
· जैव विकास में सहायक नहीं है।
· इन्हें उपार्जित लक्षण भी कहा जाता है।
· उदाहरण :- कानों में छेद करना, कुत्तों में पूँछ काटना।
जनन कोशिका विभिन्नता :-
· यह जनन कोशिका में आती है।
· यह अगली पीढ़ी में स्थानान्तरित होते हैं।
· जैव विकास में सहायक हैं।
· इन्हें आनुवंशिक लक्षण भी कहा जाता है।
· उदाहरण :– मानव के बालों का रंग, मानव शरीर की लम्बाई।

मेण्डल का जीवन परिचय
ü मेण्डलवाद – मेण्डल के आनुवांशिकता के नियमों को मेण्डलवाद कहते है।
✯ ग्रेगॉर जॉन मेण्डल को आनुवांशिकी का जनक कहते हैं।
✯ मेण्डल ने वंशागति के नियमों का प्रतिपादन किया।
✯ मेण्डल का जन्म 22 जुलाई, 1822 को आस्ट्रिया
 के हेन्जनडॉर्फ प्रान्त के सिलिसियन गाँव में हुआ।

ग्रेगर जॉन मेंडल का योगदान
आनुवंशिकी के क्षेत्र में ग्रेगर जॉन मेंडल के महत्वपूर्ण योगदान के कारण इन्हें आनुवंशिकी का पिता कहा जाता है। ये आस्ट्रिया के पादरी थे। इन्होंने मटर के पौधों पर अनेक प्रयोग किए और उनके आधार पर कुछ निष्कर्षों को प्रतिपादित किया जिसकी रिपोर्ट 1866 में प्रकाशित की गई।
अपने प्रयोगों के आधार पर मेंडल निम्नलिखित निष्कर्ष पर पहुंचे:-

  1. आनुवंशिक लक्षणों को पीढ़ी दर पीढ़ी ले जाने वाले लक्षण को कारक कहा जो अब जीन के नाम से जाना जाता है।
  2. संकर संतान में यह कारण अब परिवर्तनशील होता है, फलस्वरुप अगली पीढ़ी में वह लक्षण पूर्ववत् प्रकट होते हैं।


ü मेण्डल की सफलता के कारण
✯ मेण्डल ने एक समय में एक ही लक्षण की वंशागति का अध्ययन किया।
✯ मेण्डल ने अपने संकरण प्रयोगों के सभी आंकडों का सावधानीपूर्वक सांख्यिकी विश्लेषण किया। मेण्डल ने अपने प्रयोग के लिए पादप का चुनाव सावधानीपूर्वक किया।
संकरण प्रयोगों के लिए मटर पौधे का चुनाव :-
मटर के पौधे का चुनाव निम्न कारणों से हुआ –

  1. मटर एकवर्षीय पादप है।
  2. मटर के पादप का आकार छोटा होता है।
  3. मटर में बीजों की संख्या अधिक होती है।
  4. मटर द्विलिंगी पादप है, स्वपरागण पाया जाता है।
  5. मटर के पुष्पों में परपरागण आसानी से होता है।
  6. मटर के पौधों में कई लक्षण विपरीत प्रभाव दर्शाते है।

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