विद्युतधारा के रासायनिक प्रभावविद्युत धारा

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अध्याय:-11 विद्युतधारा के रासायनिक प्रभावविद्युत धारा :- किसी विद्युत परिपथ में इलेक्ट्रॉन के प्रवाह को विद्युत धारा कहते हैं। यह एक अदिश राशि है,

इसका मात्रक एम्पियर होता है। विद्युत धारा को मापने के लिए अमीटर का उपयोग किया जाता है।

विद्युत धारा और इलेक्ट्रॉन के प्रवाह की दिशा :- हमेशा एक – दूसरे के विपरीत होती है। जहां पर विद्युत धारा का प्रवाह धन आवेश से ऋण आवेश की ओर होता है,

वहां पर इलेक्ट्रॉन का प्रवाह ऋण आवेश से धन आवेश की ओर होता है।

विद्युत धारा के प्रकार :-

1. प्रत्यावर्ती धारा :- ऐसी विद्युत धारा जिसकी दिशा व मान बदलता या परिवर्तित होता रहता है,

उसे प्रत्यावर्ती धारा कहते हैं। इस विद्युत धारा की आवृत्ति 50 हर्ट्ज होती है। हमारे घरों में हेडिल से आने वाली लाइट प्रत्यावर्ती धारा ही होती है।

यह धारा हमें अल्टरनेट, ओसिलेटर इत्यादि से प्राप्त होती है।

2. दिष्ट धारा :- ऐसी विद्युत धारा जिसकी दिशा व मान बदलता या परिवर्तित नहीं होता रहता है, उसे दिष्ट धारा कहते हैं।

• इस विद्युत धारा की आवृत्ति 0 हर्ट्ज होती है।

• यह धारा हमें मोबाइल बैटरी, इन्वर्टर, सेल, डी. सी. जनरेटर इत्यादि से प्राप्त होता है।

विद्युत धारा का रासायनिक प्रभाव :- जब विद्युत को सुचालक तरल पदार्थ से गुजारते हे, तब रासायनिक प्रक्रिया के कारण वह अपने आयंस मे बट जाएं उसे रासायनिक प्रभाव कहते हैं और इस प्रक्रिया को विद्युत अपघटन के नाम से जाना जाता है जब विद्युत धारा किसी द्रव्य अर्थात किसी पानी में मिले अम्ल में प्रवाहित करते है, तब उसके आयंस विभक्त हो जाते है।

• यह घटना विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव के कारण ही होती है।

• जब विद्युत को सुचालक तरल पदार्थ से गुजारते है, तब रासायनिक प्रक्रिया के कारण वह अपने आयंस मे बट जाएं उसे रासायनिक प्रभाव कहते है।

विद्युतलेपन :-

विद्युत धारा द्वारा किसी पदार्थ पर वांछित धातु की परत निक्षेपित करने की प्रक्रिया को विद्युतलेपन कहते है।

• जब कॉपर सल्फेट विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो कॉपर सल्फेट, कॉपर तथा सल्फेट में वियोजित हो जाता है।

• इलेक्ट्रोड से जो ताँबे की प्लेट से बना है , समान मात्रा का कॉपर विलयन में घुल जाता है।

• आभूषण बनाने वाली सस्ती धातुओं पर चाँदी तथा सोने का विद्युतलेपन करते हैं।

• खाद्य पदार्थों के भंडारण के लिए उपयोग किए जाने वाले टिन के डिब्बों में लोहे के ऊपर टिन की विद्युतलेपन किया जाता है।

• जो पदार्थ अपने में से होकर विद्युत धारा को प्रवाहित होने देते हैं, वे विद्युत के सुचालक (अच्छे चालक) होते हैं। उदाहरण:-ताँबा तथा ऐलुमिनियम।

• जो पदार्थ अपने में से होकर विद्युत धारा को आसानी से प्रवाहित नहीं होने देते, विद्युत के हीन चालक होते हैं। उदाहरण:- रबड़, प्लास्टिक तथा लकड़ी।

• संपरीक्षित्र का उपयोग यह जांच करने के लिए किया जाता है कि कोई पदार्थ अपने से विद्युत धारा को प्रवाहित होने देता है या नहीं।

द्रव में विद्युत का चालन:-

• बेकार फेंकी गई बोतलों के प्लास्टिक या रबड़ के कुछ ढक्कन एकत्र करके उन्हें साफ करते हैं।

• एक ढक्कन में एक चाय के चम्मच के बराबर नींबू का रस या सिरका उड़ेलते हैं।• संपरीक्षित्र को ढक्कन के पास लाकर उसके सिरों को नींबू के रस या सिरके में डुबाते हैं।

• दोनों सिरे परस्पर एक सेंटीमीटर से अधिक दूरी पर नहीं होने चाहिए लेकिन इसके साथ-साथ वे एक दूसरे को स्पर्श भी नहीं करनी चाहिए।

• संपरीक्षित्र का बल्ब दीप्त होता है अर्थात् नींबू का रस या सिरका विद्युत का चालन करते हैं। नींबू के रस या सिरके को हम सुचालक के वर्ग में रखेंगे।

• जब संपरीक्षित्र के दोनों सिरों के बीच का द्रव अपने से विद्युत धारा को प्रवाहित होने देता है तो संपरीक्षित्र का परिपथ पूरा हो जाता है जिससे परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित होती है तथा बल्ब दीप्त होता है।

• जब कोई द्रव विद्युत धारा को अपने से प्रवाहित होने नहीं देता तो संपरीक्षित्र का परिपथ पूरा ना होने के कारण बल्ब दीप्त नहीं होता।

• कभी-कभी बल्ब से विद्युत धारा प्रवाहित होने पर भी वह दीप्त नहीं होता है।विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव के कारण बल्ब का तंतु उच्च ताप तक गर्म होकर दीप्त हो जाता है। लेकिन यदि परिपथ में विद्युत धारा दुर्बल है तो तंतु पर्याप्त गर्म न हो पाने के कारण दीप्त नहीं हो पाता।

• कोई पदार्थ विद्युत का चालन कर सकता है,लेकिन यह संभव है कि वह धातु की तरह आसानी से विद्युत का चालन न कर पाता हो जिसके कारण संपरीक्षित्र का परिपथ तो पूरा हो जाता है लेकिन फिर भी इसमें प्रवाहित विद्युत धारा बल्ब को दीप्त करने के लिए दुर्बल हो सकती है।

• संपरीक्षित्र में विद्युत बल्ब के स्थान पर LED (प्रकाश उत्सर्जक डायोड) का उपयोग कर सकते हैं।

• LED दुर्बल विद्युत धारा प्रवाहित होने पर भी दीप्त होता है।

• LED के साथ जुड़े दो तारों को लीड्स कहते हैं। एक तार दूसरे की अपेक्षा थोड़ा लंबा होता है। LED के लंबे तार को किसी परिपथ में सदैव बैटरी के धन टर्मिनल से तथा छोटे तार को बैटरी के ऋण टर्मिनल से जोड़ते हैं।

• जब किसी तार में विद्युत धारा प्रवाहित होती है तो उसके पास रखी चुंबकीय सुई में विक्षेप होता है। हम विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव का उपयोग करके कोई संपरीक्षित्र बना सकते हैं।

क्रियाकलाप:-

• माचिस के खाली डिब्बे से ट्रे निकालकर ट्रे पर चित्र में दर्शाए अनुसार एक विद्युत तार के कुछ फेरे लपेटते हैं। ट्रे के भीतर एक छोटी चुंबकीय सुई रखते हैं। अब तार के एक स्वतंत्र सिरे को बैटरी के एक टर्मिनल से जोड़ते हैं तथा दूसरे सिरे को स्वतंत्र छोड़ देते हैं।

• तार का एक दूसरा टुकड़ा लेकर बैटरी के दूसरे टर्मिनल से जोड़ते हैं।

• दोनों तारों के स्वतंत्र सिरों को क्षणमात्र के लिए एक दूसरे से स्पर्श करवाते हैं। चुंबकीय सुई तुरंत विक्षेप दिखाती है।

• यह तार के दो स्वतंत्र सिरों वाला संपरीक्षित्र होता है। इस संपरीक्षित्र के स्वतंत्र सिरों को नींबू के रस में डुबाकर चुंबकीय सुई में विक्षेप देख सकते हैं।क्रम संख्यापदार्थचुंबकीय सुई विक्षेप दर्शाती है हाँ/नहींसुचालक/हीन चालक नींबू का रसहाँअच्छा चालक सिरकाहाँअच्छा चालक टोंटी का पानीहाँअच्छा चालक वनस्पति तेलनहींहीन चालक दूधहाँअच्छा चालक शहदनहींहीन चालक

• कुछ द्रव विद्युत के सुचालक तथा कुछ हीन चालक हैं।

• वास्तव में विशेष परिस्थितियों में अधिकांश पदार्थ विद्युत धारा का चालन कर सकते हैं। इसी कारण पदार्थों को चालकों तथा विद्युतरोधियों के रूप में वर्गीकृत करने की अपेक्षा, अच्छे चालकों (सुचालकों) तथा हीन चालकों के रूप में वर्गीकृत करने को अधिक मान्यता दी जाती है।

अध्याय:-11 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभावपाठ्यपुस्तक के प्रश्न उत्तर

1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

–(क) विद्युत चालन करने वाले अधिकांश द्रव, अम्ल, क्षार तथा लवणों के विलयन होते हैं।

(ख) किसी विलयन से विद्युत धारा प्रवाहित होने पर रासायनिक प्रभाव उत्पन्न होता है।

(ग) यदि कॉपर सल्फ़ेट विलयन से विद्युत धारा प्रवाहित की जाए तो कॉपर बैटरी के ऋण टर्मिनल से संयोजित प्लेट पर निक्षेपित होता है।

(घ) विद्युत धारा द्वारा किसी पदार्थ पर वांछित धातु की परत निक्षेपित करने की प्रक्रिया को विद्युतलेपन कहते हैं।

2. जब किसी संपरीक्षित्र के स्वतंत्र सिरों को किसी विलयन में डुबोते हैं तो चुम्बकीय सुई विक्षेपित होती है। क्या आप ऐसा होने के कारण की व्याख्या कर सकते हैं?

उत्तर:- हाँ। चुंबकीय सुई तभी विक्षेपित होगी जब परिपथ पूरा हो। परिपथ पूरा होने का अर्थ है कि विलयन विद्युत का चालक है।

3. ऐसे तीन द्रवों के नाम लिखिए जिनका परीक्षण चित्र में दर्शाए, अनुसार करने पर चुंबकीय सुई विक्षेपित हो सके।

उत्तर:- नल का पानी, सोडियम क्लोराइड का विलयन, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का विलयन।

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