वायुमंडलीय अपवर्तन:-

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UP BOARD CLASS 10TH SCIENCE IMPORTANT QUESTION

वायुमंडलीय अपवर्तन:-

वायुमंडलीय अपवर्तन:- हमारे वायुमंडल में वायु की सामान्यत: दो परतें हैं एक गर्म वायु की तथा दूसरी ठंडी वायु की, जो मिलकर दो भिन्न-भिन्न अपवर्तनाकों की माध्यम बनाती हैं। गर्म वायु हल्की होती हैं जो ऊपर उठ जाती हैं और ठंडी वायु जो थोड़ी भारी होती हैं वह पृथ्वी की सतह की ओर रहती हैं । ठंडी वायु सघन माध्यम का कार्य करती हैं और गर्म वायु विरल माध्यम का कार्य करती हैं। इससे होकर गुजरने वाली प्रकाश की किरणों में अपवर्तन होता हैं इसे इसे ही वायुमंडलीय अपवर्तन कहते हैं।
1 .पृथ्वी के वायुमंडल के कारण होने वाले प्रकाश के अपवर्तन को वायुमंडलीय अपवर्तन कहते हैं।
2. गरम वायु में से होकर देखने पर वस्तु की आभासी स्थिति परिवर्तित होती रहती हैं।
3.वायुमंडलीय अपतर्वन के कारण बहुत सी परिघटनाएँ होती रहती हैं जैसे :- तारों का टिमटिमाना, अग्रिम सूर्योंदय में सूर्य की आभासी स्थिति दिखाई देना इत्यादि ।
4 ऊपर से जैसे-जैसे हम पृथ्वी की सतह की ओर बढ़ते जाते हैं वायु का अपवर्तनांक बढ़ता जाता हैं।
वायुमंडलीय अपवर्तन का कारण :- पृथ्वी के वायुमंडल के कारण होने वाले प्रकाश का अपवर्तन ।
तारों का टिमटिमाना (Twinkling of stars):- तारों के प्रकाश के वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण ही तारे टिमटिमाते प्रतीत होते हैं। पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने के पश्चात पृथ्वी के पृष्ठ पर पहुँचने तक तारे का प्रकाश निरंतर अपवर्तित होता जाता है। वायुमंडलीय अपवर्तन उसी माध्यम में होता हैं जिसका क्रमिक परिवर्ती अपवर्तनांक हो। क्योंकि वायुमंडल तारे के प्रकाश को अभिलंब की ओर झुका देता हैं, अत: तारे की आभासी स्थिति उसकी वास्तविक स्थिति से कुछ भिन्न प्रतीत होती हैं। अत: तारे की आभासी स्थिति विचलित होती रहती हैं तथा आँखों में प्रवेश करने वाले तारों के प्रकाश की मात्रा झिलमिलाती रहती हैं जिसके कारण कोई तारा कभी चमकीला प्रतीत होता हैं तो कभी

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