gharshan Bal kise kahate Hain
घर्षण :- वस्तुओं की गति की अवस्था में परिवर्तन घर्षण बल के कारण होता है। घर्षण बल सभी गतिशील वस्तुओं पर लगता है।
• इसकी दिशा सदैव गति की दिशा के विपरीत होती है।
• घर्षण बल दो सतहों के बीच सम्पर्क के कारण उत्पन्न होता है।
जैसे- साइकिल चलाते समय पेडल चलाना पड़ता हैं।ट्रैफिक सिग्नल पर कार अथवा ट्रक चालक को अपने वाहन को बंद करने के लिए ब्रेक लगाना पड़ता है।कोई भी वस्तु जो किसी अन्य वस्तु के पृष्ठ पर गति कर रही होती है उस स्थिति में मंद हो जाती है जब उस पर कोई बाहरी बल ना लगाया जाए जिससे वह अंततः रुक जाती है।फर्श पर लुढ़कती गेंद कुछ समय बाद रुक जाती है।केले के छिलके पर कदम पड़ते ही हम फिसल जाते हैं।किसी चिकने तथा गीले फर्श पर चलना कठिन होता है। जब कोई लड़का किसी केले के छिलके पर कदम रखता है तो वह गिर पड़ता है।
घर्षण बल:-मेज़ पर रखी किसी पुस्तक को धीरे से धकेलने पर कुछ दूरी चलकर वह रुक जाती है।इस क्रियाकलाप को विपरीत दिशा में बल लगाकर दोहराने पर भी पुस्तक रुक जाती है। क्योंकि पुस्तक की गति का विरोध करने के लिए उस पर घर्षण बल कार्य कर रहा है।
(a) तथा (b): घर्षण पुस्तक तथा फर्श के पृष्ठों की सापेक्ष गति का विरोध करता है।जब हम बाईं दिशा में बल लगाते हैं तो घर्षण दाईं दिशा में कार्य करता है। यदि हम दाईं दिशा में बल लगाते हैं तो घर्षण बाईं दिशा में कार्य करता है।दोनों ही स्थितियों में घर्षण पुस्तक की गति का विरोध करता है। घर्षण बल सदैव ही लगाए गए बल का विरोध करता है।
उपरोक्त क्रियाकलाप में घर्षण बल पुस्तक तथा मेज़ के पृष्ठों के बीच कार्य करता है।
घर्षण को प्रभावित करने वाले कारक:-क्रियाकलाप:-किसी ईंट के चारों ओर एक डोरी बांधते हैं। ईंट को कमानीदार तुला द्वारा खींचते हैं। हमें कुछ बल लगाना पड़ता है। ईंट द्वारा गति करने पर हम कमानीदार तुला का पाठ्यांक लेते हैं। इससे हमें घर्षण बल की माप प्राप्त होती है जो ईंट तथा फर्श के पृष्ठों के बीच लगता है।ईंट पर पॉलिथीन का टुकड़ा लपेटकर क्रियाकलाप को दोहराते हैं। हमें दोनों स्थितियों में कमानीदार तुला के पाठ्यांकों में अंतर पाते हैं।ईंट पर जूट का टुकड़ा लपेटकर क्रियाकलाप को दोहराते हैं।जूट का टुकड़ा लपेटी हुई ईंट को खींचने पर कमानीदार तुला अधिक पाठ्यांक दर्शाता है। फर्श पर ईंट द्वारा गति करने पर कमानीदार तुला में थोड़ा कम पाठ्यांक प्राप्त होता है।पोलिथीन से लपेटी हुई ईंट द्वारा फर्श पर गति करने पर सबसे कम पाठ्यांक प्राप्त होता है। इस कारण उस ईंट को गति करने में आसानी रहती है एवं घर्षण बल कम लगता है। कमानीदार तुला द्वारा ईंट को खींचा जा रहा है।
कमानीदार तुला:-कमानीदार तुला वह युक्ति है जिसके द्वारा किसी वस्तु पर लगने वाले बल को मापा जा सकता है इसमें एक कुंडलित कमानी होती है जिसमें बल लगाने पर प्रसार हो जाता है। कमानी के इस प्रसार की माप इसके अंशाकित पैमाने पर चलने वाले संकेतक द्वारा की जाती है।पैमाने के पाठ्यांक द्वारा बल का परिमाण प्राप्त होता है।
कमानीदार तुलाक्रियाकलाप:-किसी चिकने फर्श अथवा किसी मेज़ पर कोई आनत समतल बनाते हैं इसके लिए हम ईंटों के सहारे रखा कोई लकड़ी का तख्ता उपयोग कर सकते हैं।बिंदु पर पेन से कोई चिन्ह अंकित करते हैं। कोई पेंसिल सेल इस बिंदु से नीचे लुढ़कने देते हैं। रुकने से पहले पेंसिल सेल द्वारा तय की गई दूरी को मापते हैं। अब मेज़ पर कोई कपड़ा इस प्रकार बिछाते हैं के कपड़े में सिलवटें ना हों और क्रियाकलाप फिर दोहराते हैं।मेज़ पर रेत की पतली परत बिछाकर इस क्रियाकलाप को दोहराते हैं। समस्त क्रियाकलाप में आनत समतल का ढलान समान रखते हैं।चिकने फर्श पर पेंसिल द्वारा तय की गई दूरी सबसे अधिक थी क्योंकि घर्षण बल सबसे कम था।मेज़ पर रेत की पतली परत पर सेल द्वारा तय की गई दूरी सबसे कम थी क्योंकि घर्षण बल सबसे अधिक है।कपड़े पर सेल द्वारा तय की गई दूरी चिकने फर्श की अपेक्षा कम लेकिन रेत की पतली परत की अपेक्षा अधिक थी।सेल द्वारा चली दूरी जिस पृष्ठ पर वह चलता है उसकी प्रकृति पर निर्भर करती है।पेंसिल सेल के पृष्ठ का चिकनापन भी चली गई दूरी को भी प्रभावित करता है।