पत्र लेखन
पत्र-एक आवश्यकता
पत्र लेखन दो व्यक्तियों के बीच संवाद स्थापित करने का एक साधन है। प्राचीन समय में भी इसका प्रचलन रहा है। आज भी है, परंतु प्रारूप में परिवर्तन आ गया है।
सूचना-क्रांति के इस युग में मोबाइल फ़ोन, इंटरनेट आदि के प्रचलन से पत्र-लेखन में कमी आई है, फिर भी पत्रों का अपना विशेष महत्त्व है और रहेगा। अन्य कलाओं की तरह ही पत्र-लेखन भी एक कला है। पत्र पढ़ने से लिखने वाले की एक छवि हमारे सामने उभरती है। कहा गया है कि धनुष से निकला तीर और पत्री में लिखा शब्द वापस नहीं आता है, इसलिए पत्र-लेखन करते समय सजग रहकर मर्यादित शब्दों का ही प्रयोग करना चाहिए।
अच्छे पत्र की विशेषताएँ – एक अच्छे पत्र में निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं –
1. पत्र की भाषा सरल, स्पष्ट तथा प्रभावपूर्ण होती है।
2. पत्र में संक्षिप्तता होनी चाहिए।
3. पत्र में पुनरुक्ति से बचना चाहिए, जिससे पत्र अनावश्यक लंबा न हो।
4. पत्र में सरल एवं छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए तथा उनका अर्थ समझने में कोई कठिनाई न हो।
5. पत्र में इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग करना चाहिए कि उसमें आत्मीयता झलकती हो।
6. एक प्रकार के भाव-विचार एक अनुच्छेद में लिखना चाहिए।
7. पत्र में धमकी भरे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
8. पत्र के माध्यम से यदि शिकायत करनी हो तो, वह भी मर्यादित शब्दों में ही करना चाहिए।
9. पत्र में प्रयुक्त भाषा से आडंबर या दिखावा नहीं झलकना चाहिए।
10. पत्रों के अंगों आरंभ, कलेवर और समापन में संतुलन होना चाहिए।
पत्र के प्रकार
पत्र मुख्यतया दो प्रकार के होते हैं –
1. अनौपचारिक पत्र – अनौपचारिक पत्रों का दूसरा नाम व्यक्तिगत पत्र भी है। ये पत्र अपने मित्रों, रिश्तेदारों, निकट संबंधियों तथा उन्हें लिखे जाते हैं, जिनसे हमारा नजदीकी या घनिष्ठ संबंध होता है। इन पत्रों में आत्मीयता झलकती है। इनका कथ्य निजी एवं घरेलू होता है।
2. औपचारिक पत्र- इस प्रकार के पत्र सरकारी, अर्धसरकारी कार्यालयों, संस्थाओं आदि को लिखे जाते हैं। इनमें प्रार्थना पत्र, आवेदन पत्र, शिकायती पत्र, सरकारी-अर्धसरकारी पत्र आदि शामिल हैं। ध्यान दें- नौवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में केवल अनौपचारिक पत्र निर्धारित है। यहाँ अनौपचारिक पत्रों के बारे में हम विस्तारपूर्वक पढ़ेंगे।
औपचारिक पत्र
ये पत्र उन लोगों को लिखे जाते हैं, जिनसे हमारा निकट संबंध या रिश्ता नहीं होता है। विद्यालय के प्रधानाचार्य, विभिन्न सस्थाओं के प्रमुखो, कार्यालयों के अलावा अधिकारियों एवं कर्मचारियों को लिखे गए पत्र इसी श्रेणी में आते हैं। इन पत्रों को निम्नलिखित उपभागों में बाँटा जाता है –
1. आवेदन पत्र/प्रार्थना-पत्र
2. कार्यालयी पत्र
3. संपादकीय पत्र
4. शिकायती पत्र
5. व्यावसायिक पत्र
औपचारिक पत्र के संबोधन, अभिवादन तथा अभिनिवेदन
अभिवादन तथा अभिनिवेदन
पत्र के प्रकार | पत्र पाने वाले | संबोधन | अभिवादन | अभिनिवेदन |
आवेदन-पत्र/प्रार्थना-पत्र | प्रधानाचार्य, संबंधित अधिकारी | महोदय, महोदया, मान्यवर | – | आपका, कृपाकांक्षी, भवदीय |
कार्यालयी पत्र | संबंधित अधिकारी | मान्यवर, महोदय | – | भवदीय, विनीत |
संपादकीय पत्र | संपादक | महोदय, महोदया | – | भवदीय/भवदीया, प्रार्थी |
शिकायती पत्र | संबंधित अधिकारी | महोदय, महोदया | – | भवदीय, भवदीया, प्रार्थी |
व्यावसायिक पत्र | पुस्तक विक्रेता, बैंक प्रबंधक, व्यावसायिक संस्था | श्रीमान, महोदय | – | भवदीय, आपका |
औपचारिक पत्र का प्रारूप
1. किसी प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखकर प्रशासन व्यवस्था का ध्यान सड़कों पर हो रही दुर्घटनाओं की ओर दिलवाइए।
परीक्षा भवन
दिल्ली दिनांक
20 मार्च, 2021
सेवा में,
संपादक महोदय,
दैनिक हिंदुस्तान,
नई दिल्ली।
विषय- सड़क दुर्घटनाओं हेतु।
मान्यवर,
मैं इस पत्र के माध्यम से प्रशासन व्यवस्था का ध्यान दिन-प्रतिदिन बढ़ती हुई सड़क दुर्घटनाओं की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ। हमारे क्षेत्र में लोग ट्रैफिक बत्तियों के नियमों का पालन नहीं करते, जिसके कारण सड़क पर आए दिन दुर्घटनाएँ होती रहती हैं। ट्रैफिक पुलिसकर्मी भी अपनी ज़िम्मेदारी उचित प्रकार से नहीं निभाते, वह मूकदर्शक बनकर दूर बैठे रहते हैं। कई ट्रकों पर अत्यधिक सामान लदा होता है तथा वे तेज़ी से वाहनों को चलाते हैं, जो दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। अतः प्रशासन व्यवस्था से मेरा निवेदन है कि यातायात के कारण सड़क पर हो रही दुर्घटनाओं के संदर्भ में गंभीरतापूर्वक विचार करके उचित कदम उठाए जाएँ। आपकी अति कृपा होगी।
सधन्यवाद।
भवदीय
क.ख.ग
कश्मीरी गेट
दिल्ली
विशेष
पत्र की शुद्ध भाषा तथा प्रस्तुति के लिए 1 अंक निर्धारित है।
प्रश्न में पता नहीं होने पर पता के स्थान पर परीक्षा भवन’ तथा ‘नाम’ नहीं होने पर नाम के स्थान पर क. ख. ग.’ लिखना चाहिए।प्रार्थना-पत्र/आवेदन-पत्र
प्रार्थना-पत्र/आवेदन-पत्र विद्यालय के प्रधानाचार्य, संस्थाओं के प्रधान (प्रमुख) इत्यादि को लिखा जाता है। इसमें शालीन भाषा तथा शिष्ट शैली का प्रयोग किया जाता है। इन पत्रों में अभिवादन का अभाव होता
1. दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर अवकाश हेतु प्रधानाचार्य जी को प्रार्थना-पत्र लिखिए।
परीक्षा भवन
दिल्ली।
दिनांक 16 मार्च, 20XX
सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
सरोजिनी स्मृति विद्यालय,
मोतीनगर।
विषय- अवकाश हेतु प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
विनम्र निवेदन है कि मैं आपके विद्यालय में दसवीं ‘अ’ का विद्यार्थी हूँ। कल मैं घर के किसी काम से बाहर गया था। आते समय बस से गिर जाने के कारण मेरे पैर में काफ़ी चोट लगी है और मैं चल पाने की स्थिति में नहीं हूँ। वास्तव में, मेरे दाएँ पैर की हड्डी टूट गई है और उस पर प्लास्टर चढ़ा दिया गया है। डॉक्टर का कहना है कि यह प्लास्टर कम-से-कम तीन सप्ताह के बाद खुलेगा। अतः आपसे प्रार्थना है कि विद्यालय आने में मेरी असमर्थता को देखते हुए मुझे एक महीने का चिकित्सा हेतु अवकाश प्रदान किया जाए। इसके लिए मैं आपका सदैव आभारी रहूँगा।
सधन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
क. ख. ग.
कक्षा-दसवीं ‘अ’
आवेदन पत्र का प्रारूप
सेवा में
नियोक्ता या संस्था प्रमुख का पद नाम
कार्यालय / संस्था का नाम एवं पता
विषय- विषय वस्तु का उल्लेख ।
महोदय /महोदया
धन्यवाद ⟵ धन्यवाद ज्ञापन
भवदीय /भवदीया
नाम / हस्ताक्षर संलग्नक –
पता
दिनांक
उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय की एक विज्ञप्ति से ज्ञात हुआ कि मुख्यालय को पुलिस कांस्टेबलों की आवश्यकता है। आप भी अपनी योग्यता का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए अपना आवेदन पत्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर
सेवा में
सुपरिंटेडेंट ऑफ पुलिस
भरती प्रकोष्ठ
उ. प्र. पुलिस मुख्यालय, लखनऊ
विषय – पुलिस कांस्टेबल पद पर भरती हेतु आवेदन – पत्रमहोदय
15 फरवरी 2021 को लखनऊ से प्रकाशित ‘राष्ट्रीय सहारा’ समाचार-पत्र से ज्ञात हुआ कि पुलिस मुख्यालय (उ.प्र.) में कुछ कांस्टेबलों की आवश्यकता है। प्रार्थी भी अपना संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करता है, जो निम्नलिखित है-
1. नाम – मनीष मौर्य
2. पिता का नाम – श्री रामेश्वर मौर्य
3. जन्म तिथि – 29 मई, 1997
4. पत्राचार का पता – ग्राम-रामपुर, पोस्ट-पीपरपुर, थाना-पीपरपुर
जनपद-छत्रपति साहूजी महाराजनगर (अमेठी) उत्तर प्रदेश
5. संपर्क सूत्र – 99887…………
6. शैक्षिक योग्यताएँ –
क्रमांक | कक्षा | बोर्ड/विश्वविद्यालय | वर्ष | श्रेणी/प्रतिशत |
1. | X | यू.पी. बोर्ड इलाहाबाद, उ.प्र. | 2013 | प्रथम 70 प्रतिशत |
2. | XII | यू.पी. बोर्ड इलाहाबाद, उ.प्र. | 2015 | प्रथम 75 प्रतिशत |
7. शारीरिक योग्यता – लंबाई – 180 से.मी. सीना – 85 सेमी.
घोषण – मैं घोषणा करता हूँ कि यदि मुझे सेवा का अवसर प्रदानप किया जाता है तो मैं अपनी सेवा से विभाग का संतुष्ट रखने का प्रयास करूँगा।
सधन्यवाद संलग्नक –
भवदीय (i) X – अंकपत्र एवं प्रमाण-पत्र
मनीष मौर्य (ii) XII – अंकपत्र एवं प्रमाण पत्र
हस्ताक्षर : ……………..…….
22 फरवरी, 2023