यहाँ सभी रस, उनकी परिभाषा, और उदाहरण दिए गए हैं:
1. श्रृंगार रस (प्रेम रस)
- परिभाषा: प्रेम, आकर्षण, और सौंदर्य का भाव। यह रस रति (प्रेम) से उत्पन्न होता है।
- उदाहरण: राधा-कृष्ण की प्रेमलीलाओं का वर्णन।
“देखत दीनदयालु राधा स्याम बनै मृदु हास।
चंचल चितवन से उर सखिन को करै उदास।”
2. हास्य रस (हंसी का रस)
- परिभाषा: हास्य उत्पन्न करने वाला रस, जो हंसी और उल्लास का अनुभव कराता है।
- उदाहरण: बीरबल और तेनालीराम की कहानियाँ।
“गधे को देखा तो मालिक बोला:
यह गधा मुझे बहुत समझदार लगता है।”
3. करुण रस (दुःख का रस)
- परिभाषा: दुःख और शोक से उत्पन्न रस, जिसमें करुणा और दया की भावना होती है।
- उदाहरण: श्री राम का वनवास।
“पिता ने कहा वन जाओ तुम,
सुख छोड़ सिया संग जाओ तुम।”
4. वीर रस (साहस का रस)
- परिभाषा: शौर्य, पराक्रम, और वीरता को प्रकट करने वाला रस।
- उदाहरण: महाराणा प्रताप का युद्ध वर्णन।
“रण बीच चौकड़ी भर-भर कर,
चेतक बन गया निराला था।”
5. अद्भुत रस (आश्चर्य का रस)
- परिभाषा: चमत्कार या अनोखेपन का अनुभव कराने वाला रस।
- उदाहरण: समुद्र मंथन की कथा।
“सागर में से निकला धन,
सब देव कर रहे आश्चर्य वाचन।”
6. भयानक रस (भय का रस)
- परिभाषा: भय, आतंक, और खौफ को प्रकट करने वाला रस।
- उदाहरण: जंगल में किसी शेर का सामना।
“अंधेरी रात और भयंकर जंगल,
चारों ओर सन्नाटा था।”
7. बीभत्स रस (घृणा का रस)
- परिभाषा: घृणा और वितृष्णा को उत्पन्न करने वाला रस।
- उदाहरण: युद्ध के मैदान में खून-खराबा।
“रक्त की धाराएं बह रही थीं,
देखकर हृदय कांप रहा था।”
8. रौद्र रस (क्रोध का रस)
- परिभाषा: क्रोध और आक्रोश को व्यक्त करने वाला रस।
- उदाहरण: दुर्गा माँ का राक्षसों का वध।
“महिषासुर मर्दिनी बन,
देवी ने संहार किया।”
9. शांत रस (शांति का रस)
- परिभाषा: संतोष, शांति, और मानसिक स्थिरता को प्रकट करने वाला रस।
- उदाहरण: महात्मा बुद्ध का निर्वाण।
“वृक्ष के नीचे बैठे थे बुद्ध,
शांति का संदेश दिया।”
यह नवरस काव्य, नाटक, और अन्य कलात्मक विधाओं में मानवीय भावनाओं का सुंदर और प्रभावी चित्रण करते हैं। यदि आपको किसी रस पर अधिक जानकारी चाहिए, तो कृपया बताएं!